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30 जून 2017

शीघ्रपतन और इरेक्टाइल डिसफंक्शन के लिए होम रेमेडी क्या यूज़ करें? अश्वगंधा, शतावर, सफ़ेद मुसली या कुछ और???


मर्दाना कमज़ोरी दूर करने के लिए घरेलु नुस्खे के तौर पर क्या-क्या इस्तेमाल करना चाहिए? आप सभी लोग जानते ही हैं कि इसके लिए आयुर्वेद में कई सारी जड़ी बूटियाँ जो बेहद असरदार होती हैं. इनमे तीन तरह की जड़ी बूटियों का नाम सबसे आगे आता है - अश्वगंधा, सफ़ेद मुसली और कौंच बीज.

इसके अलावा भी बहुत सारी जड़ी-बूटियाँ हैं जो पुरुष यौन रोगों में काम आती हैं. आपमें से कई लोग अक्सर पूछते रहते हैं कि फलाँ जड़ी के साथ फलाँ यूज़ कर सकते हैं या नहीं, कोई नुकसान तो नहीं होगा? कितना टाइम यूज़ करें? वगैरह-वगैरह. 

तो आईये यहाँ जानते हैं कि कौन-कौन सी जड़ी बूटियों को घरेलु नुस्खे के तौर पर यूज़ कर सकते हैं- 


अगर आपको दवा बनाने का थोड़ा आईडिया है और जड़ी-बूटी पहचान सकते हैं तो आप इन जड़ी-बूटियों को लाकर कूट-पिस कर चूर्ण बनाकर यूज़ कर सकते हैं. 
यहाँ मैं बता रहा हूँ सीधा और आसान सा नुस्खा इसके लिए आपको लेना चाहिए 

अश्वगंधा, शतावर, सफ़ेद मुसली, शुद्ध कौंच बीज, और विधारा सभी को बराबर वज़न में लेकर कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और चूर्ण के वज़न के बराबर पीसी हुयी मिश्री मिलाकर रख लें. 

For Example - अगर सौ-सौ ग्राम पाँचों चीज़ लेंगे तो टोटल 500 ग्राम हुवा, इसमें 500 ग्राम पीसी हुयी मिश्री मिलाने पर कुल एक किलो दवा तैयार होगी. 

अब इस दवा को तीन से पांच ग्राम तक सुबह शाम खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए. दवा यूज़ करने से पहले पाचन शक्ति ठीक होनी चाहिए तब ही दवा सही से डाइजेस्ट होगी और पूरा लाभ मिलेगा. इस दवा को लगातार कम से कम तीन महिना या अधीक समय तक भी ले सकते हैं. ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए यूज़ करें. 
अब कई लोग कहते हैं कि 15 दिन खाया कोई फ़ायदा नहीं हुवा, तो भाई साहब यह दवा है कोई जादू की छड़ी नहीं है कि तुरन्त चमत्कार हो जाये. अगर दवा खाने से किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हो रहा तो दवा खाते रहें, निश्चित रूप से लाभ होगा समय जो लग जाये. 




आयुर्वेदिक दवाएँ धीरे धीरे ही असर करती हैं और रोग के मूल कारन का निवारण करते हुवे रोग दूर करती हैं. अंग्रेजी दवा वियाग्रा नहीं है कि खाया और एक घंटा में असर शुरू. आपने शायेद सुना होगा कि वियाग्रा खाकर हर साल हज़ारों लोग मरते हैं. पर आपने कभी सुना है कि सफ़ेद मूसली खाकर किसी की जान गयी हो??? ज़रा सोचिये!!!

यहाँ बताये गए नुस्खे से Generally लोगों को फ़ायदा हो जाता है, अगर समस्या अधीक हो तो रस रसायन और स्वर्णयुक्त औषधियों का सेवन आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से करना चाहिए. बताये गए नुस्खे में अपनी सुविधानुसार दूसरी जड़ी-बूटियाँ भी मिला सकते हैं. निचे दिए लिंक से कुछ जड़ी बूटियों का चूर्ण ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं- 

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29 जून 2017

बलारिष्ट के फ़ायदे और इस्तेमाल | Balarishta(Balarishtam) Benefits, Usage & Indication


बलारिष्ट क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो रिष्ट या सिरप के रूप में होती है, इसके इस्तेमाल से बल बढ़ता है और वात रोगों को दूर करती है. कमज़ोरी, आमवात, जोड़ों का दर्द, अर्धांगवात, अर्थराइटिस, ओस्टोअर्थराइटिस, Paralysis, Spondylitis, Frozen शोल्डर, कमर दर्द जैसे वात दोष के कारण होने वाले रोगों को दूर करती है. तो आईये जानते हैं बलारिष्ट का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

बलारिष्ट जैसा कि इसके नाम ही पता चलता है इसमें बला नाम की औषधि भी मिली होती है, तो आईये एक नज़र डालते हैं इसके कम्पोजीशन पर - 

इसमें इन औषधियों का मिश्रण होता है 

बला, अश्वगंधा, गुड़, धातकी, क्षीरकाकोली, एरण्डमूल, रास्ना, छोटी इलायची, प्रसारनी, लौंग, उशीर और गोखुरू

बला और अश्वगंधा के काढ़े में गुड़ मिलाने के बाद बाकी चीज़ों का मोटा चूर्ण प्रक्षेप द्रव्य के रूप में डालकर आयुर्वेदिक प्रोसेस से संधान होने के बाद रिष्ट या सिरप बनता है. बलारिष्ट बना-बनाया मार्केट में मिल जाता है. 


बलारिष्ट के गुण -

बलारिष्ट वात नाशक, रसायन, सुजन और दर्द कम करने वाला, मूत्रल, नर्वस सिस्टम और हार्ट को ताक़त देने वाला, टॉनिक और पाचन शक्ति ठीक करने वाले गुणों से भरपूर होता है. 

बलारिष्ट के फ़ायदे- 

कमज़ोरी और वात रोगों को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है
आयुर्वेदिक डॉक्टर इसे कमज़ोरी, आमवात, जोड़ों का दर्द, मसल्स का दर्द, अर्धांगवात, आर्थराइटिस, ओस्टोआर्थराइटिस, रुमाटाइड आर्थराइटिस, Paralysis,  फेसिअल Paralysis, Spondylitis, Frozen शोल्डर, कमर दर्द, साइटिका, मानसिक कमजोरी जैसे रोगों में दूसरी वात नाशक औषधियों के साथ इस्तेमाल करते हैं.

इसके अलावा यह सर दर्द, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और इरेक्टाइल डिसफंक्शन में भी फायदा करता है. 


बलारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि -

15 से 30 ML तक दिन में दो बार बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर खाना खाने के तुरंत बाद लेना चाहिए. बलारिष्ट ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई भी नुकसान नहीं होता है. वात रोगों में इसके साथ योगराज गुग्गुल, रास्नादी गुग्गुल, महारास्नादी क्वाथ, वृहत वातचिंतामणि रस जैसी दूसरी दवाएँ भी डॉक्टर की सलाह से ले सकते हैं. बैद्यनाथ, डाबर, झंडू जैसी कई आयुर्वेदिक कंपनियाँ इसे बनाती हैं, जो आयुर्वेदिक दवा दुकान में हर जगह मिल जाता है. 

27 जून 2017

मल्ल सिन्दूर के गुण और उपयोग | Malla Sindoor Usage, Indication & Side Effects


सिद्ध योग संग्रह का यह नुस्खा ज़्यादा पॉपुलर नहीं है पर आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका इस्तेमाल करते हैं, इसके इस्तेमाल से अस्थमा, खाँसी, न्योमोनिया, Paralysis, वात रोग, Influenza, Convulsion, हिस्टीरिया जैसे कई तरह के रोग दूर होते हैं, तो आईये जानते हैं मल्ल सिन्दूर का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 
मल्ल सिन्दूर जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है, यह कुपीपक्व रसायन औषधि है जिसका मुख्य घटक मल्ल होता है. मल्ल को संखिया, गौरीपाषाण और अंग्रेज़ी में Arsenic के नाम से जाना जाता है. यह एक तरह का तेज़ ज़हर है, जिसे आयुर्वेदिक प्रोसेस से शुद्ध करने के बाद इस्तेमाल किया जाता है. 

मल्ल सिन्दूर के कम्पोजीशन की बात करें तो यह शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, रस कपूर, मल्ल या संखिया और घृतकुमारी का मिश्रण होता है. आयुर्वेदिक प्रोसेस कुपीपक्व विधि द्वारा हाई टेम्परेचर में प्रोसेस कर इसे बनाया जाता है. 

यह बहुत ही तेज़ असर करने वाली दवा है जिसे डॉक्टर की सलाह के बिना बिल्कुल भी यूज़ नहीं करना चाहिए. यह वात और कफ़ नाशक होती है. इन्फेक्शन को दूर करना, एंटी वायरल और एंटी बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होती है.यह कुपीपक्व रसायन औषधि है जिसका मुख्य घटक मल्ल होता है. मल्ल को संखिया, गौरीपाषाण और अंग्रेज़ी में Arsenic के नाम से जाना जाता है. यह एक तरह का तेज़ ज़हर है, जिसे आयुर्वेदिक प्रोसेस से शुद्ध करने के बाद इस्तेमाल किया जाता है. 


मल्ल सिन्दूर के फ़ायदे- 

पक्षाघात, लकवा, Paralysis, आमवात, गठिया जैसे रोगों में इस से लाभ होता है.
खाँसी, पुराना अस्थमा, इन्फ्लुएंजा, मलेरिया-विषम ज्वर, कमज़ोरी जैसे रोगों में आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका प्रयोग करते हैं.

इसके इस्तेमाल से पुरुषों की यौन कमज़ोरी, प्रमेह, हिस्टीरिया, सुजाक, सिफिलिस जैसे रोग दूर होते हैं.

यह हैजा, कॉलरा जैसे रोगों में भी असरदार है. 


मल्ल सिन्दूर की मात्रा और सेवन विधि- 

60 से 125 mg तक शहद और अदरक के रस के साथ या रोगानुसार अनुपान के साथ लेना चाहिए. इसे ख़ुद से इस्तेमाल न करें, आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से डॉक्टर की देख-रेख में ही इसका इस्तेमाल करना चाहिए नहीं तो सीरियस नुकसान हो सकता है. पित्त प्रकृति वालों को और तेज़ बुखार में इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसके साइड इफ़ेक्ट की बात करें तो यह हार्ट बीट को बढ़ा देती है, ब्लड फ्लो भी बढ़ जाता है. इसीलिए डॉक्टर की सलाह के बिना प्रयोग नहीं करना चाहिए. 

26 जून 2017

गुलकंद के इन फ़ायदों को जानते हैं आप? Gulkand Benefits in Hindi


गुलकंद को आयुर्वेद के साथ साथ यूनानी चिकित्सा पद्धति में भी इस्तेमाल किया जाता है. ताज़े गुलाब की पंखुड़ीयों को शक्कर के साथ मसलकर काँच के जार में कुछ दिन धुप में रखने से गुलकंद तैयार हो जाता है. यहाँ मैं बता देना चाहूँगा कि गुलाब के फूलों के अलावा गुड़हल और दुसरे फूलों से भी गुलकंद बनाया जाता है. पर गुलाब के फूल वाला ही सबसे ज़्यादा यूज़ किया जाता है. 

गुलकंद को गर्मी के दिनों में ज़्यादा इस्तेमाल किया जाता है, पर कई सारी आयुर्वेदिक दवाओं के अनुपान के रूप में इसे सालों भर प्रयोग कर सकते हैं. 

गुलकंद के फ़ायदे - 

गुलकंद से कब्ज़ दूर होता है, कब्ज़ की प्रॉब्लम हो तो इसे एक-एक चम्मच सुबह शाम ले सकते हैं. यह कब्ज़ तो दूर करेगा ही साथ में पेट की गर्मी, जलन, एसिडिटी, पेशाब की जलन वगैरह को भी दूर करेगा. साधारण कब्ज़ को दूर करने के लिए इसे रात में सोने से पहले पानी या दूध से ले सकते हैं. 


गुलकंद के इस्तेमाल से हाथ पैर या हथेली-तलवों की जलन, आँख की जलन, अधीक प्यास लगना, बहुत ज्यादा गर्मी लगना, बहुत ज़्यादा पसीना आना, पसीने की बदबू  जैसे रोग दूर होते हैं. 

हाई ब्लड प्रेशर में गुलकंद के इस्तेमाल से फ़ायदा होता है, इसे एक-एक चम्मच सुबह शाम लेना चाहिए.

इसे पढ़ें - गुलाब के फ़ायदे और घरेलु प्रयोग 

ह्रदय रोगों में भी गुलकंद फ़ायदेमंद है, घबराहट, बेचैनी जैसी प्रॉब्लम दूर होती है. 
पेट की गैस दूर करने के लिए गुलकंद को दूध में डालकर पीना चाहिए. 
गुलकंद में रक्तशोधक या Blood Purifier गुण भी होते हैं, इसके प्रयोग से चर्मरोगों में भी लाभ होता है. 

गुलकंद के इस्तेमाल से पाचन शक्ति ठीक होती है, भूख बढ़ती है और कमज़ोरी दूर होती है. कुल मिलाकर देखा जाये तो कब्ज़ और पित्त या गर्मी की वजह से होने वाले रोगों के लिए यह एक अच्छी दवा है. शुगर के रोगी गुलाब के फूलों का चूर्ण यूज़ कर सकते हैं इसकी जगह पर. 


गुलकंद की मात्रा और सेवन विधि- 

एक चम्मच सुबह शाम दूध या पानी से, रोग और आयु के अनुसार इसकी मात्रा कम या अधीक कर सकते हैं. बच्चे-बड़े सभी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है. कई सारी कंपनियां इसे बनाती है, यहाँ निचे दिए गए लिंक से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं-  


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25 जून 2017

Rasnadi Guggulu Benefits in Hindi | रास्नादि गुग्गुलु के फ़ायदे


रास्नादि गुग्गुल एक शास्त्रीय आयुर्वेदिक औषधि है जो वात विकारों को दूर करती है, इसके इस्तेमाल से आमवात, गठिया, साइटिका, जोड़ों का दर्द, संधिवात, हाथ-पैर की अंगुलियाँ टेढ़ी-मेढ़ी हो जाना जैसे वात रोग दूर होते हैं. तो आईये जानते हैं रास्नादि गुग्गुल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

हमदर्द औजाई दर्द की नेचुरल दवा 

रास्नादि गुग्गुल, जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक या Main Ingredients रास्ना और शुद्ध गुग्गुल होता है. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें रास्ना, गिलोय, एरण्डमूल, देवदार और सोंठ प्रत्येक एक-एक भाग और शुद्ध गुग्गुल पांच भाग का मिश्रण होता है

बनाने का तरीका यह है कि रास्ना, गिलोय, एरण्डमूल, देवदार, सोंठ सभी का बारीक कपड़छन चूर्ण बना लें और शुद्ध गुग्गुल में मिक्स कर अच्छी तरह से कुटाई करें, थोड़ा एरण्ड तेल मिलाकर. ख़ूब अच्छी तरह से इमामदस्ते में कूटने के बाद 500 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. 


रास्नादि गुग्गुल के गुण- 

रास्नादि गुग्गुल के गुणों की बात करें तो यह वात-कफ़नाशक होता है. दीपन-पाचन, दर्द और सुजन कम करने वाले गुणों से भरपूर होता है. 

रास्नादि गुग्गुल के फ़ायदे -

रास्नादि गुग्गुल वात व्याधि की अच्छी दवा  है. रास्ना नाम की जड़ी वातरोगों के लिए बेहद असरदार औषधि है और गुग्गुल अपने गुणों के कारन विख्यात है. 

एरण्डमूल, सोंठ वात रोगों को दूर करने और दर्द जकड़न कम करने में मदद करता है और देवदार रक्तशोधक या खून साफ़ करने में मदद करता है. 

रास्नादि गुग्गुल वात रोगों में इस्तेमाल किया जाता है, ख़ासकर पुराने रोगों में इस से अच्छा लाभ मिलता है. 

इसे भी पढ़ें - साइटिका को जड़ से दूर करने का आयुर्वेदिक योग 

जोड़ों का दर्द, अर्थराइटिस, रुमाटाइड अर्थराइटिस, गठिया, आमवात, साइटिका, जोड़ों की सुजन, कमर दर्द जैसे हर तरह के वात रोगों में फ़ायदा होता है. इसके अलावा साइनस, फिश्चूला, सर दर्द, नर्व और नर्वस सिस्टम पर भी इसका असर होता है.


रास्नादि गुग्गुल की मात्रा और सेवन विधि - 

दो-दो गोली सुबह शाम रास्नादि क्वाथ या दशमूल क्वाथ के साथ या फिर गर्म पानी से. 

यह ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, लॉन्ग टाइम तक यूज़ करने से भी किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. फिर भी इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से यूज़ करना बेहतर है. आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं. 

22 जून 2017

Himalaya Party Smart Capsule Review | हिमालया पार्टीस्मार्ट कैप्सूल, हैंगओवर दूर करने की आयुर्वेदिक दवा


पार्टीस्मार्ट कैप्सूल ख़ासकर उनलोगों के लिए है जो अल्कोहल कंसम्पशन के बाद हैंगओवर का शिकार हो जाते हैं. हैंगओवर यानि कि पिने के बाद होने वाली परेशानियाँ जैसे चक्कर, उल्टी, प्यास, पेट दर्द, भूख नहीं लगना जैसी प्रॉब्लम दूर होती है. अल्कोहल के आफ्टर इफ़ेक्ट की यह एक अच्छी दवा है, तो आईये जानते हैं हिमालया पार्टीस्मार्ट कैप्सूल का कम्पोजीशन क्या है? इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी जानकारी - 

पार्टीस्मार्ट कैप्सूल के कम्पोजीशन की बात करें तो यह एक हर्बल दवा है जिसे काफी रिसर्च के बाद हिमालया हर्बल ने पेश किया है. इसे आमलकी, भूमिआमलकी, द्राक्षा, कासनी, खर्जुआ और यावातिका जैसी जड़ी बूटियों के मिश्रण से बनाया गया है. 


पार्टीस्मार्ट कैप्सूल के फ़ायदे- 

हैंगओवर Prevention की यह अच्छी दवा है ख़ासकर उनलोगों के लिए जिन्हें ड्रिंक करने के बाद परेशानी हो जाती है. 

इसके इस्तेमाल से शराब या अल्कोहल के किसी भी प्रोडक्ट के इस्तेमाल से होने वाली इस तरह की प्रॉब्लम में फ़ायदा होता है जैसे - डी हाइड्रेशन हो जाना, ब्लड शुगर लो हो जाना, प्यास, सर दर्द और बदन का दर्द, चक्कर आना, पेट दर्द, भूख की कमी, रौशनी नहीं देख पाना, पेट फूलना, आँखे लाल होना, दस्त, उल्टी, मूड ख़राब होना, नींद नहीं आना और Confusion वगैरह.


पार्टीस्मार्ट कैप्सूल का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका-

एक कैप्सूल अल्कोहल Consumption के कम से कम तीस मिनट पहले लेना चाहिए.

यहाँ कुछ इम्पोर्टेन्ट बात बता देने चाहूँगा कि यह दवा शराब पिने को बढ़ावा नहीं देती और इसे लेने के बाद भी आपको शराब से होने वाले नुकसान होते हैं, यह सिर्फ हैंगओवर से बचाता है. इसका इस्तेमाल करने के बाद भी आप अल्कोहल टेस्ट में पास नहीं हो सकते. पार्टीस्मार्ट कैप्सूल हर जगह नहीं मिल पता है, पर इसे आप यहाँ निचे दिए लिंक से ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं. 



 

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21 जून 2017

Brahma Rasayana Benefits in Hindi | ब्रह्मा रसायन, हमेशा जवान रखने की आयुर्वेदिक औषधि


यह एक रसायन औषधि है जिसके इस्तेमाल से शारीरिक और मानसिक कमज़ोरी दूर होती है, बल बढ़ाता है, चुस्ती-फुर्ती लाता है. दिमागी ताक़त बढ़ाना, यादाश्त तेज़ करना, असमय बालों को सफ़ेद होने से बचाना, नवयौवन लाने और दीर्घायु होने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं ब्रह्म रसायन का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल- 

ब्रह्म रसायन एक तरह का अवलेह या हलवा होता है, ठीक वैसा ही जैसा कि च्यवनप्राश होता है. इसे कई तरह की जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनाया जाता है. आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरक संहिता का यह योग है. इसमें मिलायी जानी वाली चीज़ों को तीन केटेगरी में रख सकते हैं जैसे -

क्वाथ द्रव्य (यानि जिनका काढ़ा बनाकर इस्तेमाल किया जाता है)
पिष्टी द्रव्य (यानि जिसे चटनी की तरह पीसकर मिलाया जाता है)
प्रक्षेप द्रव्य (इसे सबसे आख़िर में मिलाया जाता है)
स्नेह द्रव्य (भूनने और चिकनाई लेन के लिए)

क्वाथ द्रव्य-

शालपर्णी, प्रिश्नपर्णी, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, गोखुरू, बेल की छाल, श्योनका, गम्भारी छाल, पटाला, पुनर्नवा, माषपर्णी, मुदगपर्णी, बला, एरण्डमूल, जीवक, ऋषभक, मेदा, जीवन्ति, शतावर, शरा, इक्षुमूल, कुश मूल, शाली मूल सभी 50-50 ग्राम 

पिष्टी द्रव्य-

हरीतकी या बड़ी हरी ताज़ी एक किलो और ताज़ा पुष्ट पका हुवा आँवला एक किलो 

प्रक्षेप द्रव्य -

 मंडूकपर्णी, पिप्पली, शंखपुष्पी, मुस्तक, नागरमोथा, वायविडंग, सफ़ेद चन्दन, अगर, यष्टिमधु, हल्दी, नागकेशर, इलायची, दालचीनी प्रत्येक 15-15 ग्राम, मिश्री चार किलो 

स्नेह द्रव्य में तिल का तेल या घी का इस्तेमाल किया जाता है 

ब्रह्म रसायन बनाने का तरीका -

सबसे पहले हर्रे और आँवला को पानी में डालकर सॉफ्ट होने तक उबाल लेना है. इसके बाद क्वाथ द्रव्य को मोटा-मोटा कूट कर उसके वज़न के आठ गुना पानी में उबालना है. हर्रे और आँवला वाला पानी उसमे मिला सकते हैं. जब एक चौथाई पानी बच जाये तो ठंडा होने पर मसल कर छान लेना है. 

इसे भी जानिए - च्यवनप्राश के फ़ायदे और इसे कैसे बनाते हैं?

उबले हुवे आँवला और हर्रे की गुठली निकाल कर चटनी की तरह पिस लेना है. 

प्रक्षेप द्रव्य की औषधियों को भी कूट-पिसकर बारीक पाउडर बनाकर रख लेना है.
अब ताम्बे के बरतन या स्टील की कड़ाही में क्वाथ जो बनाया है उसे डालना है और उसमे आँवला और हर्रे की चटनी भी मिक्स कर उबालना है. धीमी आँच पर जब उबलते हुवे गाढ़ा हो जाये तो उसमे 250 ग्राम घी या तिल का तेल डालें और पीसी हुयी मिश्री मिलाकर अच्छी तरह हलवे की तरह भून लिया जाता है. जब हलवे से घी छूटने लगे तो आंच से उतार लें और ठंडा होने पर प्रक्षेप द्रव्य वाले चूर्ण को अच्छी तरह से मिक्स कर लें. बस ब्रह्म रसायन तैयार है. ब्रह्म रसायन बनाना आसान काम नहीं है और सब के बस की बात नहीं. बना बनाया मार्केट से लेकर यूज़ कर सकते हैं. 


ब्रह्म रसायन के गुण-

ब्रह्म रसायन त्रिदोष नाशक है. बेहतरीन एंटी-ऑक्सीडेंट, नवयौवन लाने वाला, Nervine Tonic, मेमोरी बूस्टर, दिल-दिमाग की रक्षा करने वाला, ताक़त और स्टैमिना बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर होता है 

ब्रह्म रसायन के फ़ायदे- 

शरीर को नवयौवन प्रदान करने की यह एक अच्छी आयुर्वेदिक दवा है जो पुरे बॉडी पर असर करती है. शारीरिक शक्ति, बल और स्टैमिना को बढ़ाती है. ब्रेन, हार्ट और लंग्स को ताकत देती है, पेट और Digestive System को मज़बूत बनाती है.

रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाकर बीमारियों से बचाती है. 

दीमाग को तेज़ कर, यादाश्त बढ़ाना और हमेशा जवान रखने में मदद करना इसका मेन काम है. 

कंसंट्रेशन की कमी, भूलने की बीमारी, मानसिक थकान, चिंता, डिप्रेशन, नींद नहीं आना, तनाव, सर्द दर्द, माईग्रेन, अल्झाइमर, बाल गिरना, समय से पहले बाल सफ़ेद होना, समय से पहले बुढ़ापे के लक्षण दिखना जैसे रोगों में इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है. 


ब्रह्म रसायन की मात्रा और सेवन विधि -

एक चम्मच या दस ग्राम सुबह ख़ाली पेट रोज़ एक बार लेना चाहिए. बच्चे, बड़े सभी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, उनकी आयु के अनुसार इसका डोज़ लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, आयु के अनुसार सही डोज़ लेने पर किसी भी तरह का कोई नुकसान या साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. कई सारी आयुर्वेदिक कम्पनियां इसे बनाती हैं, आयुर्वेदिक मेडिकल से या ऑनलाइन इसे खरीद सकते हैं. 

19 जून 2017

सूतशेखर रस के गुण और उपयोग | Sutshekhar Ras Benefits Benefits, Dosage & Usage


सूतशेखर रस एक रसायन औषधि है जिसके इस्तेमाल से पित्त बढ़ने से होने वाले रोग दूर होते हैं. एसिडिटी, हाइपर एसिडिटी, पेट दर्द, पेट फूलना,अल्सर, चक्कर आना, उल्टी, दस्त और हिचकी जैसे रोगों में इसका इस्तेमाल किया जाता है. सूतशेखर रस दो तरह का होता है, तो आईये जानते हैं इसके कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

सूतशेखर रस दो तरह का होता है स्वर्णयुक्त सूतशेखर रस और सूतशेखर रस साधारण. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, स्वर्ण भस्म, रौप्य भस्म, ताम्र भस्म, शंख भस्म, शुद्ध सुहागा, सोंठ, मिर्च, पीपल, शुद्ध धतुरा बीज,दालचीनी, तेजपात, इलायची, नागकेशर, बेल और कचूर सभी को बराबर वज़न में लेकर भृंगराज के रस में मर्दन कर 125 mg की गोलियाँ बनायी जाती हैं. तो यह था स्वर्णयुक्त सूतशेखर रस का कम्पोजीशन. 


सूतशेखर रस साधारण में स्वर्ण भस्म के अलावा दूसरी सारी चीजें होती हैं. सूतशेखर रस साधारण से सूतशेखर रस स्वर्णयुक्त ज्यादा असरदार होता है. 

सूतशेखर रस के गुण -

यह मेनली पित्त नाशक औषधि है, वात दोष पर भी इसका असर होता है 

सूतशेखर रस के फ़ायदे- 

सूतशेखर रस पित्तज रोगों या पित्त की अधिकता से होने वाले रोगों में इस्तेमाल किया जाता है. सिने की जलन, एसिडिटी, उदावर्त, पेट दर्द, पित्त की अधिकता से उल्टी होना, पतले दस्त होना, पाचन की प्रॉब्लम और हिचकी जैसे रोग दूर होते हैं. 
स्वर्णयुक्त सूतशेखर रस दिल और दिमाग को भी ताकत देता है और चक्कर आने भी फ़ायदेमंद है 

इसके अलावा खांसी, दमा, टी. बी., गुल्म, और माइग्रेन में भी आयुर्वेदिक डॉक्टर इसका इस्तेमाल करते हैं. 


सूतशेखर रस की मात्रा और सेवन विधि - 

एक से दो गोली सुबह शाम शहद से या फिर अनार का रस, आँवला मुरब्बा या आँवला जूस के साथ लेना चाहिए. 

सुखी खाँसी में सितोपलादि चूर्ण और शहद में मिक्स कर ले सकते हैं. यह रसायन औषधि है, इसलिए डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करना चाहिए. ऑलमोस्ट सेफ दवा है, सही डोज़ में लेने से किसी तरह कोई नुकसान नहीं होता है. आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं  निचे दिए लिंक से - 

उच्च गुणवत्ता वाला सूतशेखर रस ऑनलाइन ख़रीदें हमारे स्टोर से - सूतशेखर रस 10 ग्राम सिर्फ 70 में 




 


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18 जून 2017

Hamdard Masturin Female Tonic for PCOS/PCOD | हमदर्द मस्तुरिन के फ़ायदे और इस्तेमाल


मस्तुरिन यूनानी दवा कम्पनी हमदर्द की पेटेंट दवा है जो औरतों की बीमारियों के लिए इस्तेमाल की जाती है, इसके इस्तेमाल से पीरियड की प्रॉब्लम, PCOS, ल्यूकोरिया और Reproductive सिस्टम की बीमारियाँ दूर होती हैं. तो आईये जानते हैं हमदर्द मस्तुरिन का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल -

मस्तुरिन के कम्पोजीशन की बात करें तो इसका कम्पोजीशन साधारण दीखता है पर है बेहद असरदार. इसे उलटकंबल, अशोक की छाल, अश्वगंधा, चोपचीनी, सर्पगंधा और आयरन के मिश्रण से बनाया गया है. इसमें मिलायी जाने वाली सारी जड़ी-बूटियां बहुत ही असरदार हैं.

मस्तुरिन के फ़ायदे-

पीरियड के दौरान होने वाली हर तरह की परेशानियों के लिए यह एक अच्छी दवा है. Irregular period, Painful period, Dysmenorrhoea और Uterine inflammation में इसका इस्तेमाल करना चाहिए.

हमदर्द मस्तुरिन हार्मोनल Imbalance, PCOS, PCOD, और ल्यूकोरिया दूर करती है.

सर दर्द, मूड ख़राब होना, थकान, कमर दर्द जैसी प्रॉब्लम दूर होती है. मसल्स को ताकत देती है, चेहरे पर रौनक लाती है और शरीर को एक्टिव बनाती है.

कुल मिलाकर देखा जाये तो हमदर्द मस्तुरिन महिलाओं के Gynecological प्रॉब्लम के लिए यह एक अच्छी दवा है.

हमदर्द मस्तुरिन का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका-

Irregular period के लिए 2 चम्मच रोज़ रात को नेक्स्ट पीरियड स्टार्ट होने तक
Dysmenorrhoea और ल्यूकोरिया के लिए दो चम्मच रोज़ रात में एक बार या सुबह शाम भी लिया जा सकता है. हमदर्द मस्तुरिन के साथ पुष्यानुग चूर्ण, सुपारी पाक और योगराज गुग्गुल जैसी दवाएँ भी ली जा सकती हैं.

मस्तुरिन ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. प्रेगनेंसी में इसे डॉक्टर की सलाह से ही लें. मस्तुरिन की तरह काम करने वाली दूसरी दवाएँ हैं अशोकारिष्ट, M2 Tone, हेमपुष्पा, हिमालया ईवकेयर वगैरह. 


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17 जून 2017

विडंगारिष्ट, पेट के कीड़ों की आयुर्वेदिक औषधि | Vidangarishta Benefits & Usage in Hindi


विडंगारिष्ट वर्म्स या पेट के हर तरह के कीड़ों के लिए इस्तेमाल की जाती है. यह न सिर्फ पेट के कीड़ों को दूर करती है बल्कि दुबारा पेट में कीड़े होने से भी बचाती है, इसके अलावा अबसेस, भगंदर, पेट फूलना, भूख न लग्न, प्रमेह, पत्थरी, प्रोस्टेट और मूत्र रोगों में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं विडंगारिष्ट का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है विडंग या वायविडंग इसका मुख्य घटक है. वायविडंग को भाभरिंग और अंग्रेज़ी में False Black Pepper और (एम्ब्लिका राइब्स) Embelica Ribes भी कहा जाता है, कृमिनाशक गुणों के कारण वायविडंग को आयुर्वेद और यूनानी में भी इस्तेमाल किया जाता है. सबसे पहले जान लेंते हैं 

विडंगारिष्ट का कम्पोजीशन-

इसमें वायविडंग, पिप्प्लामुल, रास्ना, कूड़े की छाल, इन्द्रजौ, पाठा, इलायची, आँवला,त्रिकटु, धातकी, दालचीनी, तेजपात, फूल प्रियंगु, कांचनार, लोध्र और शहद का मिश्रण होता है, इसे आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव-अरिष्ट निर्माण विधि से रिष्ट या सिरप बनाया जाता है. 

विडंगारिष्ट के गुणों की बात करें तो यह कफ़ दोष पर असर करती है और वात को बैलेंस करती है, यह कृमिनाशक(Anthelmintic), शूलनाशक, पाचक और क्षुदावर्धक यानि भूख बढ़ाने वाले गुणों से भरपूर है.  


विडंगारिष्ट के फ़ायदे- 

जैसा की शुरू में ही बताया गया यह पेट के कीड़ों की बेहतरीन दवा है, पेट के हर तरह के कीड़े जैसे Round worm, Tape worm, Hook worm जैसे परजीवियों को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. 

यह पेट के कीड़ों को दूर कर देती है और दुबारा कीड़े होने से बचाती है, भूख को बढ़ाकर पाचन शक्ति को ठीक करती है. 

इसके अलावा Abscess, भगंदर, किडनी की पत्थरी, प्रोस्टेट और मूत्र विकारों में भी आयुर्वेदिक डॉक्टर दूसरी दवाओं के साथ इसका इस्तेमाल करते हैं. 


विडंगारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि- 

15 से 30 ML तक दिन में दो बार भोजन के बाद बराबर मात्रा में पानी मिलाकर लेना चाहिए. यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है, पांच साल से ज़्यादा उम्र के बच्चों को पाँच से दस ML तक दे सकते हैं. 

विडंगारिष्ट पूरी तरह से सुरक्षित दवा है, किसी तरह का कोई भी साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है, पूरा लाभ के लिए एक से तीन महिना तक यूज़ कर सकते हैं. आयुर्वेदिक दवा दुकान में यह मिल जाता है. विडंगारिष्ट की तरह विडंगासव भी होता है, दोनों के फ़ायदे एक जैसे ही होते हैं. 

15 जून 2017

मंडूर भस्म के गुण और उपयोग | Mandoor Bhasma Benefits & Usage in Hindi - Lakhaipur.com


मंडूर भस्म शास्त्रीय औषधि है जिसके इस्तेमाल से खून की कमी दूर होती है, जौंडिस, लीवर-स्प्लीन बढ़ जाने, Digestion की प्रॉब्लम, पीरियड्स की प्रॉब्लम और खून की कमी से होने वाले रोग दूर होते हैं. तो आईये जानते हैं कि मंडूर क्या है? इसका भस्म कैसे बनता है? और इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

सबसे पहले जान लेते हैं कि मंडूर क्या है?

यह लोहा या आयरन का एक रूप यानि आयरन ऑक्साइड है, यह एक तरह का आयरन रस्ट है. जब लोहा सदियों तक ज़मीन के अन्दर दबा रहता है तो मंडूर बन जाता है. लोहे की पुरानी खदानों से और जहाँ पुराने ज़माने में लोहा गलाया जाता था वहां से भी मंडूर पाया जाता है. आयुर्वेद के अनुसार मंडूर जितना पुराना हो उतना अच्छा माना जाता है. सौ साल या उस से पुराना मंडूर बेस्ट माना गया है. 

भस्म बनाने के लिए मंडूर को सबसे शोधित किया जाता है. त्रिफला के काढ़े, घृतकुमारी, गौमूत्र जैसी चीजों से आयुर्वेदिक प्रोसेस शोधन-मारण से गुजरने के बाद हाई टेम्परेचर में जलाकर भस्म बनाया जाता है. इसे कई बार लघुपुट या अग्नि देने पर सॉफ्ट भस्म बनती है. 

मंडूर भस्म के गुण- 

मंडूर भस्म के गुणों की बात करें तो यह पित्त और कफ़ दोष नाशक, शीतवीर्य और टेस्ट में कसैला होता है, रक्तवर्धक यानि खून बढ़ाने वाला और Digestion improve करने वाले गुणों से भरपूर होता है. 


मंडूर भस्म के फ़ायदे - 

मंडूर भस्म और लौह भस्म दोनों के लगभग एक ही तरह के फ़ायदे होते हैं, मंडूर भस्म लौह भस्म से ज्यादा सौम्य होता है. जिनको लौह भस्म सूट नहीं करता है उनको मंडूर भस्म यूज़ करना चाहिए 


  • मंडूर भस्म के इस्तेमाल से खून की कमी दूर होती है,यह हीमोग्लोबिन को बढ़ाता है. एनीमिया, कमजोरी, शरीर का पीलापन जैसे रोग दूर होते हैं. 



  • जौंडिस, लीवर बढ़ जाना, स्प्लीन बढ़ जाना, हेपेटाइटिस, फैटी लीवर, पाचनशक्ति की कमी, भूख नहीं लगना जैसी प्रॉब्लम में इसका इस्तेमाल करना चाहिए



  • किसी भी वजह से होने वाली शरीर की सुजन को दूर करने और शरीर को ताक़त देने के लिए इसका इस्तेमाल करना चाहिए 



  • मिट्टी खाना, ईंट-पत्थर चबाने के बीमारी कुछ लोगों को हो जाती है, ऐसी कंडीशन में मंडूर भस्म को प्रवाल पिष्टी के साथ देने से लाभ होता है 



  • महिलाओं के रोग जैसे खून की कमी से पीरियड कम होना या पीरियड नहीं होना और दर्द होने में भी इसके इस्तेमाल से फ़ायदा होता है


कुल मिलाकर देखा जाये तो मंडूर भस्म बेस्ट दवा है खून की कमी और इसकी वजह से होने वाले रोगों के लिए. पुनर्नवादि मंडूर, Liv 52 जैसी कई आयुर्वेदिक दवाओं में मंडूर भस्म का इस्तेमाल किया जाता है.

मंडूर भस्म की मात्रा और सेवन विधि - 

125 mg से 250 mg तक शहद या रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. बच्चों को कम मात्रा में देना चाहिए. मंडूर भस्म का डोज़ रोगी की उम्र और कंडीशन पर डिपेंड करता है. मंडूर भस्म ऑलमोस्ट सेफ़ दवा है, किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट या नुकसान नहीं होता है अगर सही डोज़ में लिया जाये. प्रेगनेंसी में और ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलायें भी कम मात्रा में इसका इस्तेमाल कर सकती हैं. 

14 जून 2017

Jauhar Khusia Benefits in Hindi | जौहर ए ख़ुसिया, शुक्राणु बढ़ाने की यूनानी दवा


जौहर ए खुसिया या जौहर ख़ुसिया पुरुषों के वीर्य विकार और यौनरोगों में इस्तेमाल की जाती है, इसके इस्तेमाल से वीर्य का पतलापन, स्पर्म काउंट की कमी या Oligospermia, यौनेक्षा की कमी, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, शीघ्रपतन और इनफर्टिलिटी जैसे रोग दूर होते हैं. यह शरीर को ताक़त देता है पुरुष हॉर्मोन Testosterone लेवल को बढ़ाता है और शरीर को गर्मी देता है. तो आईये जानते हैं जौहर ख़ुसिया का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल- 

जौहर ख़ुसिया के कम्पोजीशन की बात करें तो यह नॉन वेज यूनानी मेडिसिन है, आयुर्वेद में भी इसका प्रयोग है, आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी इसकी जानकारी मिलती है. 
जौहर ख़ुसिया बकरे के अंडकोष का सत्त है, जिसे कुछ यूनानी कम्पनियां कैप्सूल और पाउडर के रूप में पेश करती हैं. 

आयुर्वेद में ऐसी औषधि नहीं बनायी जाती पर आयुर्वेदिक ग्रन्थ शुश्रुत संहिता में इसका वर्णन मिलता है, एक श्लोक में कहा गया है कि-


पिप्‍प्‍लीलवणोपेते बसण्‍डे क्षीर्रस‍पिषि
साधिते भक्ष्‍येमद्यस्‍तु स गच्‍छेत् प्रमदाशतम
- (सुश्रुत संहिता, चिकित्‍सा स्‍थानम 26/20)

इसका मतलब यह है कि "दूध से बने घी में पीपल और सेंधा नमक के साथ बकरे के अंडकोषों  को पकाकर जो पुरूष खाता है वो एक सौ स्त्रियों से रमण कर सकता है." 

ऐसे भी नॉन वेज खाने वाले लोग मानते हैं कि बकरे का जो भी हिस्सा खाया जाये उस से बॉडी के उस हिस्से को ताक़त मिलती है. अगर आप नॉन वेज पसंद करते हैं तो बकरे के अंडकोष को पका कर खा सकते हैं या फिर बनी-बनाई दवा जौहर ख़ुसिया का इस्तेमाल करें.


जौहर ख़ुसिया के फ़ायदे- 

वीर्य विकार दूर कर वीर्य को गाढ़ा करने, मर्दाना कमज़ोरी दूर करने और नपुंसकता या Impotency के लिए यह असरदार यूनानी दवा है 

Oligospermia की अच्छी दवा है, सीमेन प्रोडक्शन को बढ़ाता है. स्पर्म काउंट को बढ़ाना Semen viscosity, Density और Motility को बढ़ाता है. संतानहीन पुरुषों को संतान प्राप्ति में मदद करता है. 

हलाल यूनानी मेडिसिन है, Low Testosterone को बढ़ाने का बेहतरीन सप्लीमेंट है. 

जौहर ख़ुसिया का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका - 

जौहर ख़ुसिया को कुछ यूनानी कंपनी कैप्सूल में तो कुछ पाउडर के रूप में सेल करती हैं. कैप्सूल लेना हो तो एक से दो कैप्सूल रोज़ सुबह एक बार दूध से.

पाउडर को एक ग्राम तक शहद में मिक्स कर खाकर ऊपर से दूध पियें. जौहर ख़ुसिया के साथ लबूब कबीर या माजून सालम या सालम पाक भी ले सकते हैं. यह ऑलमोस्ट सेफ दवा है, किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. फिर भी कोई भी दवा डॉक्टर की सलाह से लेना बेस्ट रहता है. जौहर ख़ुसिया रेक्स रेमेडीज और हमदर्द जैसी यूनानी दवा कम्पनियों का मिल जाता है, इसे ऑनलाइन भी ख़रीद सकते हैं. 

13 जून 2017

त्रिवंग भस्म के फ़ायदे और नुकसान | Trivang Bhasma Benefits, Usage & Side Effects


जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है यह तीन तरह की औषधियों के मिश्रण से बनने वाली दवा है. इसके इस्तेमाल से पुरुषों के वीर्य विकार, स्वप्नदोष, नपुंसकता, मधुमेह, यूरिनरी सिस्टम के रोग और महिलाओं के गर्भाशय रोग दूर होते हैं. 

कमज़ोरी और शारीरिक दुर्बलता को दूर करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. तो आईये जानते हैं त्रिवंग भस्म का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल-

त्रिवंग यानी तीन तरह के वंग का मिश्रण है यह औषधि. इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें वंग यानि Tin, नाग यानी Lead और यशद यानी जस्ता या ज़िंक के मिश्रण से बनाया जाता है. 

त्रिवंग भस्म बनाने का तरीका यह होता है कि शुद्ध वंग, शुद्ध नाग और शुद्ध यशद तीनो को बराबर वज़न में लेकर मिक्स कर घृतकुमारी के रस और हल्दी की भावना देकर तेज़ आँच में भस्म बनाया जाता है. छह-सात भावना और छह-साथ लघुपुट देने पर पीले रंग भी भस्म तैयार होती है. 

इसे भी पढ़ें - वंग भस्म के फ़ायदे 

त्रिवंग भस्म के गुणों की बात करें तो यह रसायन, शक्ति वर्धक और जनरल टॉनिक, यूरिनरी सिस्टम पर असर करने वाली, यौनेक्षा बढ़ाने वाली औषधि है 


त्रिवंग भस्म के फ़ायदे - 

त्रिवंग भस्म मूत्राशय, यूरिनरी सिस्टम, Reproductive System और गर्भाशय पर असर करती है, इसलिए पेशाब के रोग, वीर्य विकार जैसे धात गिरना, अनजाने में वीर्य निकल जाना, स्वप्नदोष, इरेक्टाइल डिसफंक्शन, शुक्राणुओं की कमी, नपुंसकता जैसे रोगों को दूर करती है. मधुमेह और हर तरह के प्रमेह में फ़ायदेमंद है.

गर्भाशय पर इफ़ेक्ट होने से महिलाओं के रोग जैसे गर्भाशय की कमजोरी, मिसकैरेज होना, सफ़ेद पानी या ल्युकोरिया, इनफर्टिलिटी की प्रॉब्लम या एग Produce नहीं होने जैसी प्रॉब्लम को दूर करता है. 

त्रिवंग भस्म हड्डियों और मसल्स हो ताकत देकर कमज़ोरी को दूर करता है. त्रिवंग भस्म को अलग-अलग रोगों में उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए, तो आईये जानते हैं 


त्रिवंग भस्म की मात्रा और सेवन विधि - 

60 mg से 250 mg तक दिन में दो बार शहद में मिक्स कर लेना चाहिए
वीर्य विकार और स्वप्नदोष में  आँवला मुरब्बा या इसबगोल के साथ 

इरेक्टाइल डिसफंक्शन और Impotency में घी के साथ खाकर ऊपर से दूध पीना चाहिए और साथ में मुसली पाक, कॉंच पाक या फिर अश्वगंधा, सफ़ेद मुसली, शतावर जैसी जड़ी-बूटियों का चूर्ण भी लेना चाहिए 

महिलाओं के मिसकैरेज और ल्यूकोरिया की प्रॉब्लम में अश्वगंधा चूर्ण या पुष्यानुग चूर्ण के साथ लेना चाहिए. साथ में फल घृत और सुपारी पाक का भी इस्तेमाल करें 

त्रिवंग भस्म का प्रयोग करते हुवे कुछ सावधानियाँ भी हैं जैसे -

प्रेगनेंसी और ब्रेस्टफीडिंग में इस्तेमाल न करें, लॉन्ग टाइम तक इस्तेमाल न करें. लगातार छह हफ्ते से अधीक प्रयोग न करें. किडनी फेलियर के रोगियों को भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए 

त्रिवंग भस्म ऑनलाइन ख़रीदें हमारे स्टोर से 

12 जून 2017

हमदर्द औजाई, दर्द की नेचुरल दवा | Hamdard Aujai Capsule Review in Hindi/Urdu - Lakhaipur.com


औजाई कैप्सूल यूनानी दवा कम्पनी हमदर्द का एक पेटेंट ब्रांड है जो कमर दर्द, घुटनों का दर्द और मांशपेशियों का दर्द या मसल्स पेन जैसे हर तरह के दर्द के लिए एक अच्छी दवा है, तो आईये जानते हैं हमदर्द औजाई कैप्सूल का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

औजाई कैप्सूल पूरी तरह से हर्बल मेडिसिन है इसे कड़वा सुरंजान, असगंध नागौरी, शुद्ध गंधक, शोरा कलमी, सफूफ़ शीर और कुश्ता गोदन्ती के मिश्रण से बनाया गया है 

सुरंजान जोड़ों का दर्द और हड्डियों को मज़बूत करने की जानी-मानी यूनानी दवा है, जबकि असगंध नागौरी या अश्वगंधा अपने बेजोड़ गुणों के कारन आयुर्वेद-यूनानी के अलावा होमियोपैथी में भी यूज़ की जाती है. इसके अलावा गोदंती भी एक नेचुरल पेन किलर या एंटी Pyretic है. 

औजाई कैप्सूल के फ़ायदे-

औजाई कैप्सूल को सेफ़ नेचुरल हर्बल पेनकिलर कह सकते हैं, मसल्स का दर्द हो, जोड़ों का दर्द हो, कमर दर्द हो या बॉडी में कैसा भी दर्द भी प्राइमरी मेडिसिन के रूप में इसका इस्तेमाल कर सकते हैं.

दर्द और सुजन को कम करना इसका मेन काम है वह भी बिना किसी साइड इफ़ेक्ट के.


औजाई कैप्सूल का डोज़ और इस्तेमाल करने का तरीका-

एक कैप्सूल रोज़ तीन बार पानी से खाना खाने के बाद

पुरानी बीमारियों में इसके साथ में और भी दवा लेनी चाहिए, जैसे जोड़ों के दर्द, गठिया, आर्थराइटिस में योगराज गुग्गुल, माजून सुरंजान, चोपचिन्यादी चूर्ण, मंजिष्ठारिष्ट वगैरह.


10 जून 2017

अश्वकंचुकी रस के फायदे | Ashwakanchuki(Ghodacholi Ras) Benefits & Usage in Hindi


अश्वकंचुकी रस को घोड़ाचोली और अश्वचोली रस भी कहा जाता है. यह पारा-गंधक के अलावा दूसरी जड़ी-बूटियों के मिश्रण से बनी शास्त्रीय आयुर्वेदिक रसायन औषधि है. तीव्र विरेचक होने से इसे पेट साफ़ करने के अलावा कई दुसरे रोगों में भी इस्तेमाल किया जाता है, तो आईये जानते हैं अश्वकंचुकी रस का कम्पोजीशन, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

अश्वकंचुकी रस के कम्पोजीशन बात करें तो इसमें शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, शुद्ध बछनाग, सुहागा फूला, सोंठ, मिर्च,पीपल, शुद्ध हरताल, हर्रे, बहेड़ा, आंवला सभी एक भाग और शुद्ध जमालगोटा बीज तीन भाग में भांगरे के रस की इक्कीस भावना देकर 250 mg की गोलियां बनायी जाती हैं.

अश्वकंचुकी रस तासीर में गर्म है और जमालगोटा मिला होने से तीव्र विरेचक या यानि फ़ास्ट एक्टिंग Laxative भी है. कफनाशक और पाचक गुणों से भरपूर है.


अश्वकंचुकी या घोड़ाचोली रस के फ़ायदे- 

पेट और आँतों की सफ़ाई करने और पेट में जमा कचरे को निकालने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है 

यह खांसी, जुकाम और बुखार में भी फायदेमंद है, शरीर में बहुत ज़्यादा कफ़ बढ़ जाने से होने वाले रोगों को दूर करता है 

इसे भी पढ़ें- बिना दवा के कब्ज़ कैसे दूर करें?

लीवर और स्प्लीन बढ़ जाना,पाचन शक्ति की प्रॉब्लम, गैस, पेट फूल जाना, भूख नहीं लगना जैसी प्रॉब्लम दूर होती है,इसके अलावा पुराना अतिसार, अस्थमा, साँस की तकलीफ, बाल सफ़ेद होना और बाँझपन जैसे रोगों में भी सही अनुपान के साथ लेने से लाभ होता है. 

अश्वकंचुकी रस की मात्रा और सेवन विधि - 

एक से दो गोली तक दिन में दो बार,या आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से 
खांसी, कफ़ और दर्द में अद्रक का रस और शहद के साथ लेना चाहिए, बुखार में सहजन की जड़ का काढ़ा और घी के साथ, अपच, पेट की गैस की प्रॉब्लम में छाछ के साथ, लीवर-स्प्लीन बढ़ने पर पुनर्नवा के काढ़े के साथ, बाँझपन में पुत्रजीवक के साथ या फिर रोगानुसार उचित अनुपान से. 


यह रसायन औषधि है, इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से ही यूज़ करें. इसे आयुर्वेदिक दवा दुकान से या फिर ऑनलाइन खरीद सकते हैं. 


09 जून 2017

पनीर के फूल के फ़ायदे | Paneer Ke Phool(Withania Coagulans) Benefits in Hindi


पनीर एक तरह का फूलों वाला पौधा होता है, इसके फूलों को डायबिटीज के लिए बेहद असरदार माना गया है. इसके इस्तेमाल से सिर्फ तीस दिनों में आप शुगर लेवल को कण्ट्रोल कर नार्मल कर मीठी चीज़ें खाना शुरू कर सकते हैं, तो आईये जानते हैं इसके फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

पनीर के फूल को पनीर डोडा भी कहा जाता है, इसे आप पंसारी की दुकान से ख़रीद सकते हैं
पनीर के फूल (Withania Coagulans) 

पनीर का फूल इस्तेमाल कैसे करना है?

इसका इस्तेमाल करने से पहले शुगर और कोलेस्ट्रॉल का टेस्ट करा लेना चाहिए और इसे यूज़ करते हुवे हर दस दिन पर टेस्ट करवा कर इसका असर देख सकते हैं.


इस्तेमाल करने का तरीका यह है कि आठ-दस दाना इसके फूल को एक गिलास पानी में डालकर शाम को रख देना है और सुबह इसे मसलकर छानकर ख़ाली पेट पी जाना है. इसका टेस्ट अच्छा नहीं लगता पर दवा तो दवा होती है.

इसे भी पढ़ें - डायबिटीज का रामबाण घरेलु उपचार 

यहाँ मैं बता देना चाहूँगा कि अगर आपका शुगर लेवल बहुत ज़्यादा बढ़ा हुआ नहीं है तो 4-5 दाना फूल ही यूज़ करें, हाई लेवल में दस-पंद्रह दाना तक भी यूज़ कर सकते हैं. शुगर लेवल नार्मल होने पर हर महीने चार-पाँच दिन यूज़ कर सकते हैं. अगर कोई अंग्रेज़ी दवा ले रहे हों तो भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं, पर ध्यान रहे शुगर लेवल कण्ट्रोल होने पर अंग्रेज़ी दवाओं का डोज़ कम करें या फिर बंद कर दें. पनीर के फूल को जड़ी-बूटी की दुकान से या फिर निचे दिए गए लिंक से घर बैठे ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं- 

 

इसे भी जानें - वसंत कुसुमाकर रस के फ़ायदे 

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