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24 जनवरी 2023

Pinda Taila Benefits & Usage | पिण्ड तेल के फ़ायदे | Pinda Tailam

pinda taila benefits

पिण्ड तेल को पिण्ड तैलम भी कहा जाता है. विशेष रूपसे दक्षिण भारत में ही इसे पिण्ड तैलम के नाम से जाना जाता है. 

पिण्ड तेल के फ़ायदे  

यह दर्द दूर करने वाला तेल है जिसे ख़ासकर गठिया, Arthritits में प्रयोग किया जाता है. 

इसके प्रयोग से सुजन, जोड़ों का दर्द, अकड़न, वैरीकोस वेंस,  शरीर का दाह या जलन इत्यादि में लाभ होता है. 

जोड़ों के दर्द-सुजन, सुजन की लाल होना, जलन होना जैसी समस्या होने पर इसकी मालिश करनी चाहिए.

वैरीकोस वेंस में दर्द जलन हो तो इसकी बहुत हलकी मालिश करें या क्रीम के जैसा ही लगायें. वैरीकोस वेंस में दबाव नहीं डालना चाहिए.

इसे जले-कटे और ज़ख्म पर भी लगाया जाता है. यह सिर्फ़ बाहरी प्रयोग की औषधि है. 

पिण्ड तेल का कोई साइड इफ़ेक्ट या दुष्प्रभाव नहीं होता है, लम्बे समय तक इसका प्रयोग कर सकते हैं. रोज़ दो-तीन बार या आवश्यकतानुसार इसकी मालिश कर सकते हैं. 

सावधानी - यह काफ़ी चिकना और चिपचिपा तेल होता है, एड़ी में इसकी मालिश के बाद एक आदमी नंगा पैर फर्श पर चला तो स्लिप कर गिर गया और कमर में फ्रैक्चर आ गया, मतलब लेने के देने पड़ गए. इसलिए दोस्तों ध्यान से इसकी मालिश करें, यदि पैर या तलवों में लगाना हो तो मालिश के बाद अच्छे से पोछ लिया करें. 

पिण्ड तेल के घटक और निर्माण विधि - 

आयुर्वेदिक ग्रन्थ चरक संहिता में इसका वर्णन मिलता है. इसके घटक या कम्पोजीशन की बात की जाये तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है- देशी मोम(मधुमक्खी वाला) 280 ग्राम, मंजीठ 455 ग्राम, सर्जारस 186 ग्राम, सारिवा 455 ग्राम, तिल तेल 6 लीटर और पानी 24 लीटर. बनाने के तरीका है यह है कि जड़ी बूटियों का जौकुट चूर्ण कर तेल-पानी मिलाकर मंद अग्नि पर तेल-पाक विधि से तेल सिद्ध कर लिया जाता है. 

वैसे यह बना हुआ मार्केट में उपलब्ध है ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए गए लिंक से -

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19 जनवरी 2023

Mahasudarshan Kadha | महासुदर्शन काढ़ा

mahasudarshan kadha

महासुदर्शन काढ़ा आयुर्वेदिक औषधि है जिसके सेवन से हर तरह की बुखार, पाचन विकृति, सर दर्द, खाँसी, खून की कमी, जौंडिस और लिवर के रोग इत्यादि दूर होते हैं. तो आईये इसके गुण, उपयोग, फ़ायदे और निर्माण विधि के बारे में सबकुछ जानते हैं - 

काढ़ा को क्वाथ भी कहा जाता है. काढ़ा और क्वाथ में बीच में कंफ्यूज न हों, दोनों एक ही चीज़ है. कोई कम्पनी महासुदर्शन काढ़ा के नाम से बनाती है तो कोई कम्पनी महासुदर्शन क्वाथ के नाम से.

महासुदर्शन काढ़ा का कम्पोजीशन महासुदर्शन चूर्ण के जैसा ही होता है. महासुदर्शन चूर्ण के बारे में आप पहले से ही जानते हैं. 

महासुदर्शन चूर्ण की जानकारी 


महासुदर्शन काढ़ा के घटक या कम्पोजीशन 

इसके निर्माण के लिए चाहिए होता है हर्रे, बहेड़ा, आँवला, हल्दी, दारुहल्दी, छोटी कटेरी, बड़ी कटेरी, कचूर, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, पीपलामूल, मूर्वा, गिलोय, धमासा, कुटकी, पित्तपापड़ा, नागरमोथा, त्रायमाण(बनफ्सा), नेत्रबाला(खश), अजवायन, इन्द्रजौ, भारंगी, सहजन बीज, शुद्ध फिटकरी, बच, दालचीनी, कमल के फूल, उशीर, सफ़ेद चन्दन, अतीस, बलामूल, शालपर्णी, वायविडंग, तगर, चित्रकमूल छाल, देवदारु, चव्य, पटोलपत्र, कालमेघ, करंज की मींगी, लौंग, बंशलोचन, काकोली, तेजपात, जावित्री, तालिसपत्र प्रत्येक 8 तोला, 8 माशा 4 रत्ती लेना है, चिरायता 2 सेर 10 छटाक 3 तोला 4 माशे लेकर सबको जौकूट कर 64 सेर पानी में पकाया जाता है. 16 सेर जल शेष रहने पर छानकर इसमें 6 सेर गुड़ और धाय के फूल 10 छटाक डालकर आसव-अरिष्ट निर्माण विधि के अनुसार एक महिना के सन्धान होने के लिए छोड़ दिया जाता है. इसके बाद छानकर बोतलों में भर लिया जाता है.  बस यही महासुदर्शन काढ़ा है. 


महासुदर्शन काढ़ा के गुण 

ज्वरघ्न है अर्थात बुखार को दूर करता है, शरीर के दाह को दूर करता है यानी बॉडी में कूलैंट की तरह काम करता है. पाचन का काम करता है, पित्त रेचन काम करता है यानि बॉडी के एक्स्ट्रा पित्त को बाहर निकालता है.

महासुदर्शन काढ़ा के फ़ायदे 

इसके सेवन से हर तरह के बुखार दूर होते हैं. चाहे बुखार नयी हो या पुरानी हो या फिर मलेरिया हो या फिर कुछ और हो, सभी प्रकार के ज्वर समूल नष्ट होते हैं. 

भूख की कमी, कमज़ोरी, सर दर्द, खांसी, कमर दर्द, जौंडिस, खून की कमी, अपच, गर्मी, शरीर का पीलापन इत्यादि हर तरह के लक्षणों को दूर करता है. 

किसी भी कारण से होने वाले बुखार में, महिला, पुरुष, बच्चे-बूढ़े सभी लोग इसका यूज़ कर सकते हैं. 

इसके सेवन बुखार दूर होकर शरीर स्वस्थ होता है, बुखार की अंग्रेज़ी दवाओं की तरह साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. 

यदि आप कोई अंग्रेज़ी दवा का सेवन करते हैं तो भी थोड़ा टाइम गैप देकर इसका सेवन कर सकते हैं.

होम्योपैथिक दवा का इस्तेमाल करते हुए भी आप इसे यूज़ कर सकते हैं. 

पूरी तरह से सुरक्षित औषधि है, इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. 

महासुदर्शन काढ़ा की मात्रा और सेवन विधि 

15 से 30 ML तक बराबर मात्रा में पानी मिलाकर रोज़ दो से चार-पाँच बार तक ले सकते हैं. या फिर स्थानीय वैद्य जी की सलाह के अनुसार ही लेना चाहिए. 

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