भारत की सर्वश्रेष्ठ आयुर्वेदिक हिन्दी वेबसाइट लखैपुर डॉट कॉम पर आपका स्वागत है

22 जुलाई 2024

Trivikram Ras | पहली ख़ुराक से होगा आराम | Kidney Stone

 

trivikram ras

पानी कम पीने या दुसरे कई कारणों से जब हमारी किडनी में कचरा जमने लगता है तो यही आगे चलकर धीरे-धीरे पत्थरी का रूप धारण कर लेता है. जिसे हम आम बोलचाल में गुर्दे की पत्थरी या किडनी स्टोन के नाम से जानते हैं. 

आयुर्वेद में किडनी स्टोन के लिए बहुत सी बेहतरीन दवाएँ हैं जो पत्थरी को घुलाकर निकाल देती हैं. आज जिस दवा के बारे में मैं बात करूँगा उसका नाम है - त्रिविक्रम रस 

जी हाँ दोस्तों, यह एक ऐसी रसायन आयुर्वेदिक औषधि है जो पत्थरी को गलाकर नष्ट कर देती है और गुर्दे का दर्द हमेशा के लिए बन्द हो जाता है. 

जब मूत्रनलिका में पत्थरी के कारण रुकावट हो, बहुत तकलीफ़ से बून्द-बून्द पेशाब होता हो तो इसकी पहली ख़ुराक से ही लाभ होता है और पेशाब खुलकर आने लगता है. 

गुर्दे का दर्द, किडनी की पत्थरी चाहे जैसे भी हो, छोटी-बड़ी हो, एक हो या मल्टीप्ल स्टोन हो, सभी को गलाकर निकाल देती है. 

यह वात और पित्त दोष को बैलेंस करती है. यह सब तो हो गए त्रिविक्रम रस के फ़ायदे.

आईये अब जानते हैं, इसका डोज़ और यूज़ करने का तरीका 

एक से दो गोली रोज़ दो बार 500 mg हज्रुल यहूद भस्म और एक स्पून शहद मिक्स कर चाटकर ऊपर बीजौरे निम्बू के जड़ का रस या क्वाथ पीना चाहिए. 

इसे यवक्षार या शीतल पर्पटी के साथ लेने से भी पेशाब खुलकर आने लगता है.

और अब अंत में त्रिविक्रम रस का घटक या Composition भी जान लेते हैं. 

इसके घटक या कम्पोजीशन की बात करूँ तो इसे ताम्र भस्म, शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक और बकरी के दूध से बालुका यंत्र में अग्नि देकर विशेष विधि से बनाया जाता है. 

वैसे यह बना हुआ मिल जाता है, ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक निचे दिया गया है.

त्रिविक्रम रस Buy Online

त्रिविक्रम रस के साइड इफेक्ट्स

इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. 

इसे लगातार एक महिना से ज़्यादा यूज़ न करें, और स्थानीय वैद्य जी सलाह से और उनकी देख रेख में ही इसका यूज़ करना चाहिए, क्यूंकि यह बहुत तेज़ी से असर  करने वाली रसायन औषधि है. 

प्रेगनेंसी और फीडिंग कराने वाली महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए. 

हज्रुल यहूद भस्म पत्थरी की आयुर्वेदिक औषधि 

21 दिनों में पत्थरी दूर करने के चार आसान प्रयोग 


20 जुलाई 2024

11 जुलाई 2024

बस खाने के साथ ये चबा कर खा लो, ना Heart Attack आएगा, ना Gas बनेगी, ना साँस फूलेगी

 


बस खाने के साथ ये चबा कर खा लो, ना Heart Attack आएगा, ना Gas बनेगी, ना साँस फूलेगी



29 जून 2024

Gond Katira Benefits | गोंद कतीरा के फ़ायदे

 

gond katira ke fayde

सबसे पहले जानिए कि गोंद कतीरा क्या है ?

गोंद कतीरा 'गुलू' नाम के एक तरह के झाड़ीदार पेड़ का गोंद होता है. इसका पेड़ मध्य-पूर्व के देशों में पाया जाता है. जैसे बबूल के पेड़ के तनों से बबूल गोंद निकलता है वैसे ही इसका भी गोंद निकलता है, जो सुख जाने पर क्रिस्टल की तरह दीखता है. अंग्रेज़ी में इसे Tragacanth Gum कहा जाता है. 

gond katira

नार्मल गोंद और गोंद कतीरा लगभग एक जैसा ही दीखता है. असली गोंद कतीरा के टुकड़े को पानी रातभर भिगो देने से यह फूलकर काफ़ी बढ़ जाता है और जेल की तरह दीखता है. जबकि नार्मल गोंद इतना नहीं फूलता. 

गोंद कतीरा में क्या है जो इसे इतना खास बनाता है?

गोंद कतीरा कई तरह के ज़रूरी पोषक तत्वों से भरपूर होता है, मॉडर्न रिसर्च से भी यह साबित हो चूका है. 

इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्वों की बात करूँ तो इसमें इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, मैग्नीशियम, प्रोटीन, फ़ॉलिक एसिड, विटामिन बी ग्रुप के सभी विटामिन पाए जाते हैं. इनके आलावा इसमें फाइबर भी पाया जाता है. 

गोंद कतीरा के फ़ायदे 

बॉडी को कूल रखने के लिए 

गर्मी के मौसम में अक्सर लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, शरीर को कूल रखने और हीट स्ट्रोक से बचने के लिए.
शरीर को कूल डाउन करने, पेशाब की गर्मी, पेशाब की जलन को दूर करने में यह बहुत ही असरदार है. पेशाब का पीलापन और पेशाब की इन्फेक्शन में भी फ़ायदा मिलता है गोंद कतीरा के इस्तेमाल से.  

दर्द के लिए 

जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, मसल्स का दर्द, बदन दर्द, गर्मी की वजह से होने वाला सर दर्द में इसके सेवन से लाभ होता है. इसमें पाए जाने वाले पोषक तत्व जॉइंट पेन को कम करने में असरदार है. 

ब्लड प्रेशर के लिए 

ब्लड प्रेशर को भी कण्ट्रोल करने में यह काफी मददगार होता है. अगर आपको हाई BP की प्रॉब्लम है तो गोंद कतीरा का इस्तेमाल कीजिये, चन्द दिनों में ही आपको इसका फ़ायदा दिखेगा.

बोन हेल्थ के लिए 

गोंद कतीरा हमारे शरीर की हड्डियों को उचित पोषण देता है, जॉइंट्स में ग्रीसिंग देता है और बोन्स को स्ट्रोंग बनाता है, क्यूंकि इसमें नेचुरल कैल्शियम भी पाया जाता है जो कि बोन हेल्थ के लिए बहुत ज़रूरी होता है. यह बच्चे, बड़े, महिला-पुरुष सभी की हड्डियों को मज़बूत बनाता है.

इम्युनिटी पॉवर के लिए 

यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता या इम्युनिटी पॉवर को बढ़ाता है, जिस से आप जल्दी बीमारी होने से बच सकते हैं.

पेट सम्बन्धी रोगों और पाचन तंत्र के लिए 

Digestive सिस्टम के लिए यह काफी फ़ायदेमंद है. यह आपकी पाचन शक्ति को सही करने में मदद करता है. पेट की गर्मी को कम करता है. एसिडिटी, कब्ज़, बवासीर इत्यादि में असरदार है. अपच, बदहज़मी से बचने के लिए भी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं. 

स्किन हेल्थ के लिए 

यह आपकी स्किन के लिए भी असरदार है. खासकर गर्मी के मौसम में अपनी स्किन को हेल्दी रखना चाहते हैं, गर्मी के प्रभाव से अपनी स्किन को बचाना चाहते हैं तो गोंद कतीरा का इस्तेमाल करना चाहिए.

मेल हेल्थ या पुरुष रोगों के लिए 

सभी पुरुष रोगों में यह काफी असरदार है. मर्दाना कमज़ोरी हो या किसी भी तरह की कोई यौन समस्या हो तो आप इसे हलवे में मिलाकर या लड्डू बनाकर यूज़ कीजिये, सभी प्रोब्लेम्स दूर कर आपको असली मर्द बना देगा. 

किडनी/ब्लैडर हेल्थ के लिए 

बार-बार पेशाब होना, पेशाब ज़्यादा होना, पेशाब रोक नहीं पाना, ऐसे ही पेशाब निकल जाना जैसी प्रॉब्लम में भी इस से फ़ायदा होता है. महिला और सभी को. 

वज़न कम करने के लिए 

वेट लॉस में यह सहायक है. फाइबर रिच और लो कैलोरी होने से यह मोटापा के शिकार लोगों को वज़न करने में हेल्प करता है. यह भूख पर कण्ट्रोल करता है.

गोंद कतीरा इस्तेमाल करने का सही तरीका 

जब तक आप इसे सही तरीके इस्तेमाल नहीं करेंगे इसका पूरा फ़ायदा नहीं मिलेगा. 
सही तरीके से यूज़ न करने से फ़ायदा तो दूर की बात भयंकर नुकसान हो सकता है. ब्लॉकेज, पेट फूलना और कब्ज़ जैसी प्रॉब्लम भी हो सकती है.

आपने देखा होगा कि पानी में डालने से यह पानी सोख लेता है और काफ़ी ज़्यादा फूलकर बढ़ जाता है. इसलिए इसे रात भर पानी में भीगाने के बाद या कम से कम दो घंटे भिगाने के बाद ही यूज़ करें. 

इसका पाउडर बनाकर यूज़ करना अच्छा रहता है. इसका पूरा फ़ायदा लेने के लिए इसका पाउडर बनाने से पहले तवे पर के मोटा सा कागज़ रखकर गोंद कतीरा को भुन लेना चाहिए. इसे भुने बिना खाने से पूरा असर नहीं करता है. 

तो इसका पाउडर बनाने से पहले हल्का सा भुन लीजिये, और फिर देखिये इसका फ़ायदा.
अक्सर लोग इसे पानी में भिगाकर या घोलकर पीने की सलाह देते हैं. सिर्फ़ पानी में घोलकर पीने से अच्छा है कि इसमें थोड़ा सा दूध मिला लें या अपनी पसन्द का कोई फ्रेश जूस, शर्बत, शहद, लस्सी-दूध मिलाकर पीने से बॉडी से जल्दी Absorb होता है और पूरा लाभ मिलता है, तुरन्त फ़ायदा मिलता है. 

इस तरह से यूज़ करने से 30 मिनट के अन्दर ही असर करता है, बॉडी को रिचार्ज करता है और थकावट दूर करता है.

इसीलिए आयुर्वेद में किसी भी औषधि को सही अनुपान के साथ लेने की सलाह दी जाती है. 
लड्डू बनाकर या फिर हलवे में इसे मिलाकर भी यूज़ किया जाता है. 

डेली कितना यूज़ करना चाहिए ?

एक से दो टी स्पून रोज़ एक से दो बार तक या फिर आयु और अपने बल के अनुसार ही इसका सेवन करना चाहिए. जितना डाइजेस्ट हो सके, उतना ही यूज़ करें.

गोंद कतीरा के साइड इफेक्ट्स 

बहुत Rarely पेट दर्द और ब्लोटिंग जैसी समस्या हो सकती है अगर आप बहुत ज़्यादा मात्रा में इसका इस्तेमाल करते हैं. 

अगर पहले से आपकी कोई अंग्रेज़ी दवा लम्बे समय से चल रही है तो गोंद कतीरा को लगातार इस्तेमाल न करें, या फिर अपने डॉक्टर से सलाह लेकर ही यूज़ करें. 




26 जून 2024

Kaishor Guggul Side Effects? | कैशोर गुग्गुल

 

kaishore guggul benefits

सबसे पहले जानते हैं कि कैशोर गुग्गुल क्या है?

कैशोर गुग्गुल आयुर्वेद की महान दवाओं में से एक है जो तो गोली या टेबलेट फॉर्म में होती है, यह आयुर्वेद की गुग्गुल केटेगरी की औषधि है.

विधि विधान से बनी हो तो यह अक्सर गहरे काले रंग की होती है. 

kaishor guggul

कैशोर गुग्गुल को किशोर गुग्गुल, कैशोर गुग्गुलु, कैशोरा गुग्गुलु, कैशोर गुग्गुल वटिका जैसे नामों से  भी जाना जाता है.

कैशोर गुग्गुल के गुण या प्रॉपर्टीज 

मूल रूप से इसे रक्तशोधक, रक्त विकार नाशक या ब्लड प्योरीफ़ायर माना जाता है. पर यह सिर्फ रक्तशोधक ही नहीं बल्कि दुसरे कई गुणों से भरपूर होता है  जैसे - 

Adaptogenic- यानी तनाव थकान को दूर करने वाला 

Analgesic- दर्द-पीड़ा को दूर करने वाला 

Anti-bacterial- बैक्टीरिया नाशक 

Anti-diabetic- यानि मधुमेह में उपयोगी 

Anti-inflammatory- सुजन दूर करने वाला

Anti-arthritis- गठिया रोग में लाभकारी 

Anti flatulent- पाचन शक्ति ठीक करने वाला

Antioxidant, Anti-microbial, Mild Laxative यानी कब्ज़ दूर करने वाला और 

Detox- शरीर के विषाक्त तत्वों को बहार निकालने वाले गुण भी इसमें पाए जाते हैं. 

कैशोर गुग्गुल के फ़ायदे 

शरीर में वात-पित्त का संतुलन कर खून को साफ़ करने वाली यह एक बेहतरीन दवा है

त्वचा विकार और हर तरह के चर्म रोगों में असरदार है, किल, मुहांसे, एक्जिमा जैसे रोगों को दूर करती है, फंगल इन्फेक्शन में भी फायदेमंद है

इसके फ़ायदों की बात करूँ तो आयुर्वेदानुसार इसके सेवन से वातरक्त, कुष्ठ रोग, घाव, उदर रोग, गुल्म, शोथ, पांडू, प्रमेह, अग्निमान्ध, प्रमेह पीड़ीका जैसे रोग नष्ट होते हैं. 

आसान भाषा में अगर कहा जाये तो स्किन की सभी प्रॉब्लम जैसे खुजली, एक्जिमा, सोरायसिस, कुष्ठरोग, ज़ख्म, फोड़े, कारबंकल में असरदार है.

गठिया, जोड़ों का दर्द, जकड़न, सुजन, इसकी वजह से होने वाली बुखार, खाँसी, पाचन शक्ति की कमज़ोरी, भूख की कमी और क़ब्ज़ इत्यादि को यह नष्ट करता है. 

तो इतने सारे रोगों को दूर करता है  यह कैशोर गुग्गुल 

आपके डॉक्टर या वैद्य जी ने कैशोर गुग्गुल सेवन करने की सलाह दी है तो बताई गयी बीमारियों में कोई न कोई प्रॉब्लम आपको होगी ही.

आप इसका यूज़ कर रहे हैं पर फ़ायदा नहीं हुआ, फ़ायदा क्यूँ नहीं हुआ? 

इसे लगातार लम्बे समय तक यूज़ करने से ही पूरा लाभ मिलता है. पूरा लाभ पाने के लिए सही डोज़ में उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए, तभी मनचाहा रिजल्ट मिलेगा. 


इसका दूसरा विकल्प क्या है? 

इसके जैसा दूसरी कोई औषधि नहीं, परन्तु इसके विकल्प के रूप में पञ्चतिक्तघृत गुग्गुल ले सकते हैं या फिर मेरा एक अनुभूत योग है - चर्मरोगान्तक योग जो हर तरह के चर्मरोग के लिए रामबाण है. 


कैशोर गुग्गुल सेवन करने का सही तरीका क्या है? सही डोज़ क्या है?

एक बार में दो से चार गोली तक रोज़ तीन से चार बार तक इसे लिया जा सकता है. इसे गर्म पानी से, दूध से या फिर महामंजिष्ठादि क्वाथ जैसे किसी रक्तशोधक क्वाथ के साथ लेने से जल्दी लाभ मिलता है. रोज़ चार ग्राम या आठ गोली से ज़्यादा इसका डोज़ नहीं होना चाहिए.


कितने समय तक इसका सेवन कर सकते हैं?

गठिया और कठीन चर्मरोगों में इसे छह महिना से एक साथ या लम्बे समय तक प्रयोग करना चाहिए. इसे आप हर मौसम में यूज़ कर सकते हैं.


परहेज़ क्या करें?

इसका यूज़ करते हुए ज्यादा परहेज़ करने की ज़रुरत नहीं होती. पर रोग बढ़ाने वाले खान-पान से परहेज़ करना हमेशा बेस्ट रहता है. नॉन वेज, मिर्च-मसाला, सफ़ेद नमक, फ़ास्ट फ़ूड, जंक फ़ूड, सॉफ्ट ड्रिंक, शराब वगैरह से परहेज़ करने से आपको जल्दी फ़ायदा मिलेगा. 


किन लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए? 

जिनको गैस्ट्रिक अल्सर हो, पेप्टिक अल्सर हो, हाइपर एसिडिटी की समस्या हो, दस्त, संग्रहणी इत्यादि में इसका सेवन नहीं करना चाहिए. 

पाँच साल से कम उम्र के बच्चों को भी इसका यूज़ नहीं करना चाहिए

प्रेगनेंसी में भी इसका यूज़ नहीं करना चाहिए. और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलायें भी इसका सेवन न करें.


कैशोर गुग्गुल के नुकसान या साइड इफेक्ट्स 

वैद्य जी की सलाह से सही डोज़ में इसका सेवन करने से किसी भी कोई भी नुकसान या साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. 

ज़्यादा डोज़ में लेने से एसिडिटी, गैस बनना और लूज़ मोशन जैसी समस्या हो सकती है. 

आईये अब अंत में जान लेते हैं कैशोर गुग्गुल के घटक यानि की कम्पोजीशन और निर्माण विधि 

कैशोर गुग्गुल का घटक 

इसके घटक या कम्पोजीशन की बात करूँ तो इसे त्रिफला क्वाथ, शुद्ध गुग्गुल, त्रिफला चूर्ण, गिलोय, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, वायविडंग, जमालगोटा की जड़, निशोथ और घी या एरण्ड तेल के मिश्रण से बनाया जाता है. 

शारंगधर संहिता में वर्णित मूल श्लोक

kaishore guggul

निर्माण विधि यह होती है कि सबसे पहले त्रिफला क्वाथ में शुद्ध गुग्गुल को पकाकर गाढ़ा कर, दूसरी जड़ी-बूटियों का चूर्ण मिलाकर, इमामदस्ते में कूटते हुए हल्का सा घी या एरण्ड तेल मिलाकर गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही कैशोर गुग्गुल होता है. 

बेस्ट क्वालिटी का होम मेड कैशोर गुग्गुल का लिंक दिया गया है, ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं. 100 ग्राम की कीमत है सिर्फ 600 रूपये. बेस्ट क्वालिटी रहेगी, यह मेरी गारंटी है. अधीक मात्रा में किलो के भाव चाहिए तो इसके लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं.  




22 जून 2024

Laxminarayan Ras | लक्ष्मीनारायण रस गुण, उपयोग और निर्माण विधि

laxmi narayan ras

लक्ष्मीनारायण रस क्या है?

यह एक रसायन औषधि है जो वात, पित्त और कफ़ वाले रोगों पर असर करती है.

लक्ष्मीनारायण रस के घटक या कम्पोजीशन 

इसके घटक या कम्पोजीशन की बात करूँ तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है- शुद्ध हिंगुल, शुद्ध गंधक, शुद्ध बच्छनाग, सुहागे की खील, कुटकी, अतीस, पीपल, इन्द्रजौ, अभ्रक भस्म और सेंधा नमक प्रत्येक समान भाग 

इसके निर्माण विधि की बात करूँ तो इसे बनाने के लिए सभी चीज़ों को बारीक चूर्ण कर दन्तीमूल और त्रिफला क्वाथ में अलग-अलग तीन-तीन दिनों तक घोटने के बाद दो-दो रत्ती की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. बस यही लक्ष्मीनारायण रस कहलाता है. 

लक्ष्मीनारायण रस की मात्रा और सेवन विधि 

एक से दो गोली सुबह-शाम अदरक का रस और शहद मिक्स कर लेना चाहिए. 

वात, पित्त और कफ़ तीनो दोषों पर इसका असर होता है. 

लक्ष्मीनारायण रस के फ़ायदे 

आयुर्वेदिक ग्रंथानुसार लक्ष्मीनारायण रस के सेवन से वात, पित्त और कफात्मक ज्वर, हैजा, विषम ज्वर, अतिसार, संग्रहणी, रक्तातिसार, आम-शूल और वात व्याधि का नाश होता है. 

आईये अब आसान भाषा में इसके फ़ायदे जानते हैं -

यह बच्चों के टेटनस रोग की एक असरदार आयुर्वेदिक औषधि है. 

यह हर तरह के बुखार को पसीना लाकर उतार देती है. 

महिलाओं की डिलीवरी के बाद होने वाली बुखार और दूसरी समस्याओं में भी प्रयोग की जाती है. 

संग्रहणी और आँव वाले दस्त में भी यह उपयोगी है. 

 


02 मई 2024

Gandhak Rasayan | गंधक रसायन - चर्म रोगों का नंबर वन दुश्मन

gandhak rasayan benefits

 गंधक रसायन क्या है?

गंधक रसायन चर्मरोगों या स्किन डिजीज को दूर करने वाली क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है. इसके इस्तेमाल से खाज-खुजली, एक्जिमा, फोड़े-फुंसी, चकत्ते, छाजन और सफ़ेद दाग से लेकर कुष्ठव्याधि तक नए-पुराने हर तरह के चर्मरोग दूर हो जाते हैं. 

गंधक रसायन का घटक या कम्पोजीशन 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक शुद्ध गंधक होता है. गंधक को अंग्रेज़ी में Sulphur कहा जाता है. इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध गंधक के अलावा भावना देने के लिए चातुर्जात क्वाथ, त्रिफला क्वाथ, गिलोय का रस और अदरक का रस. 

बनाने का तरीका यह होता है कि शुद्ध गंधक को चूर्ण बना लें और फिर इसमें चतुर्जात क्वाथ, त्रिफला क्वाथ, गिलोय का रस और अदरक के रस की कम से कम आठ-आठ भावना देकर सुखाकर पीसकर रख लिया जाता है. 

शास्त्रानुसार इसे टोटल चौसठ भावना देकर बनाने का प्रावधान है. पुरे विधि विधान से बना हुआ यह काले रंग का दीखता है. 

गंधक रसायन के औषधिय गुण 

आयुर्वेदानुसार यह तासीर में गर्म, पित्तशामक, कुष्ठाघ्न यानी हर तरह के चर्म रोगों को दूर करने वाला, विषघ्न या विष को दूर करने वाला, जीवाणु-विषाणु नाशक रसायन है. यह Antibacterial, Antiviral, Antibiotic, Antimicrobial, Anti-inflammatory, Anti Leprosy और Blood Purifier जैसे गुणों से भरपूर होता है. 

गंधक रसायन के फ़ायदे 

दाद, खाज-खुजली, एक्जिमा, सोरायसिस, कुष्ठ, सफ़ेद दाग़, फोड़े-फुंसी, फंगल इन्फेक्शन, बालों का गिरना, बालों में रुसी या Dandruff होना जैसी प्रॉब्लम में बेहद असरदार है. 

स्किन में चकत्ते होना, पित्ती उछलना(Urticaria) और कील-मुहाँसों में भी असरदार है. 

रक्तशोधक गुण होने से खून साफ़ करता है और वातरक्त या गठिया रोग में भी फ़ायदेमंद है. 

कुल मिलाकर बस समझ लीजिये कि चर्मरोगों और खून साफ़ करने की यह आयुर्वेद की बेस्ट दवाओं में से एक है. 

गंधक रसायन की मात्रा और सेवन विधि 

बीमारी और रोगी की कंडीशन के अनुसार ही इसका सही डोज़ फिक्स होता है. वैसे 250mg या एक टेबलेट रोज़ दो से तीन बार तक लिया जा सकता है. इसे रोगानुसार उचित अनुपान स्थानीय वैद्य जी की सलाह के अनुसार  निश्चित अवधि के लिए ही यूज़ करना चाहिए. 

गंधक रसायन के साइड इफेक्ट्स

यह एक सुरक्षित औषधि है, इसे एक से छह महिना तक लगातार यूज़ किया जा सकता है. 

क्या दूसरी दवाओं का सेवन करते हुए भी इसका  यूज़ कर सकते हैं?

जी हाँ, होमियोपैथिक या दूसरी कोई अंग्रेज़ी दवा आपकी चलती है तो भी इसका यूज़ कर सकते हैं. बस दूसरी दवा और इसके बीच में आधा से एक घंटा का अन्तर रखना चाहिए. पहले अंग्रेज़ी दवा खाएं, उसके आधा से एक घंटा बाद ही इसका सेवन करें, और अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें.

यदि आप पहले से कोई विटामिन या सप्लीमेंट यूज़ करते हैं तो भी इसका सेवन कर सकते हैं. 

डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, हृदय रोग से पीड़ित व्यक्ति को सावधानीपूर्वक स्थानीय वैद्य जी की सलाह से ही इसका सेवन करना चाहिए. 

64 भावना वाला गंधक रसायन ऑनलाइन ख़रीदें