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24 मार्च 2022

M-Oil Benefits | एम- आयल के फ़ायदे

m oil

जैसा कि आप सभी जानते हैं पुरुष रोगों में मैं अक्सर एम- आयल सजेस्ट करता हूँ जो पुरुषों के अंग विशेष के ढीलापन, टेढ़ापन, पतलापन और छोटापन जैसी समस्याओं में असरदार है. 

तो आईये आज इसका कम्पोजीशन और फ़ायदे के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं- 

एम- आयल 

एम का यहाँ पर दो अर्थ है - मेल और मसाज, पूरा मतलब है पुरुषों के लिए मसाज का तेल 

सबसे पहले एक नज़र इसके कम्पोजीशन पर 

 इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे असगंध, शतावर, मैनसिल, हरताल, त्रिकटु, अकरकरा, कनेर, सेंधा नमक, पंचकोल, दशमूल, त्रिजात, जुन्द, केसर, लघु पंचकमूल, वृहत पंचकमूल, अष्टवर्ग और चतुर्जात जैसी जड़ी-बूटियों के द्वारा त्रिगुण तेल में तेल-पाक विधि से सिद्ध कर बनाया जाता है. 

एम- आयल के फ़ायदे 

यह लिंग का ढीलापन, छोटापन, तनाव की कमी, लूज़ रहना, नसें दिखना, बेजान रहना जैसी पुरुषों की सभी समस्या को दूर करता है. 

नपुँसकता को दूर करता है और साइज़ को इम्प्रूव करने में भी मदद करता है. 

कुल मिलाकर देखा जाये तो पुरुषों हर तरह की समस्या के लिए इसे बेफिक्र हो कर इस्तेमाल कर सकते हैं. यह पूरी तरह से सुरक्षित है, इसके प्रयोग से छाले-फुन्सी या किसी भी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. 

सुबह-शाम इसकी मालिश करनी चाहिए 

30 ML की क़ीमत है 300 रूपये, जिसे ऑनलाइन ख़रीदने का लिंक दिया गया है. 

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20 मार्च 2022

Gangadhar Ras Benefits, Use and Ingredients | गंगाधर रस के फ़ायदे

gangadhar ras


यह एक शास्त्रीय रसायन औषधि है जो अतिसार में प्रयोग की जाती है. तो आईये जानते हैं गंगाधर रस के घटक, निर्माण विधि और फ़ायदे के बारे में विस्तार से - 

गंगाधर रस के घटक या कम्पोजीशन 

इसके निर्माण के लिए चाहिए होता है शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, अभ्रक भस्म, कुटज छाल, अतीस, लोध्र पठानी,  बेल गिरी और धाय के फूल प्रत्येक बराबर वज़न में.

निर्माण विधि यह है कि सबसे पहले पारा-गंधक की कज्जली बना लें, इसके बाद दूसरी सभी चीजों का बारीक कपड़छन चूर्ण मिक्स कर पोस्त डोडा के क्वाथ में तीन दिनों तक खरल करने के बाद दो-दो रत्ती की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही गंगाधर रस कहलाता है. 

गंगाधर की मात्रा और सेवन विधि 

एक-एक गोली रोज़ दो-तीन बार तक छाछ के साथ या फिर रोगानुसार उचित अनुपान से, वैद्य जी की देख रेख में ही लें. 

गंगाधर रस के गुण 

यह स्तंभक, संग्राही, आमपाचक जैसे गुणों से भरपूर होता है. 

गंगाधर रस के फ़ायदे 

यह हर तरह के अतिसार यानी दस्त या लूज़ मोशन रोकने वाली औषधि  है.

मूल ग्रन्थ के अनुसार यह रक्तातिसार और आमातिसार में बहुत लाभ करती है. 

यह मन्दाग्नि को दूर करती है और भूख बढ़ाती है. 

आसान शब्दों में कहूँ तो यह पतले दस्त, डायरिया, ख़ूनी दस्त और आँव वाले दस्त की असरदार दवा है. 

इसे ऑनलाइन खरीदने का लिंक निचे दिया गया है 


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गंगाधर चूर्ण के फ़ायदे 



12 मार्च 2022

Sarpgandharishta | सर्पगन्धारिष्ट के फ़ायदे

sarpgandharishta
आज की जानकारी है सर्पगन्धारिष्ट के बारे में. आज से पहले आपने इसका नाम शायेद ही सुना होगा. मैं अक्सर आयुर्वेद की वैसी औषधियों की जानकारी लेकर आता हूँ जो कहीं और नहीं मिलती. 

तो आईये जानते हैं कि सर्पगन्धारिष्ट क्या है? इसकी निर्माण विधि, गुण-धर्म और फ़ायदे के बारे में सबकुछ विस्तार से- 

यह आसव-अरिष्ट केटेगरी की औषधि है जो सिरप या लिक्विड फॉर्म में होती है. 

सर्पगन्धारिष्ट के फ़ायदे

यह औषधि हाई ब्लड प्रेशर और इस से सम्बंधित विकारों में बहुत अच्छा लाभ करती है.

इस के सेवन से वायु विकार नष्ट होकर शान्ति मिलती है.

उर्ध्वगामी वायु के कारण होने वाले उपद्रवों का इससे शमन होकर ह्रदय और मस्तिष्क को शान्ति मिलती है. 

अनिद्रा या नीन्द नहीं आना और हिस्टीरिया में भी इसका अच्छा प्रभाव होता है. 

शामक तथा जीवनीय औषधियों का मिश्रण होने से सर्पगन्धा का कार्यक्षेत्र और भी बढ़ जाता है. 

किडनी पर भी इसका अच्छा असर होता है, इस से पेशाब साफ़  आता है और खून की गर्मी दूर होती है. 

सर्पगन्धारिष्ट की मात्रा और सेवन विधि 

15 से 30 ML तक सुबह-शाम बराबर मात्रा में पानी मिलाकर भोजन के बाद लेना चाहिए.

सर्पगन्धारिष्ट मार्किट में नहीं मिलती है, सिद्धहस्त वैद्यगण इसका निर्माण ख़ुद करते हैं. इसके जैसा ही काम करने वाली औषधि 'सर्पगन्धा वटी' मिल जाएगी जिसका लिंक दिया गया है. 

सर्पगन्धा वटी ऑनलाइन ख़रीदें 


सर्पगन्धारिष्ट के घटक या कम्पोजीशन 

इसे बनाने के लिए चाहिए होता है सर्पगन्धा 5 किलो, बला, असगंध, जटामांसी प्रत्येक 500 ग्राम, शालपर्णी, प्रिश्नपर्णी, नागबला, गम्भारी, गोखरू, जीवक, ऋषभक, मेदा, महा मेदा, ऋद्धि, वृद्धि, काकोली, क्षीरकाकोली, पीपल की छाल, वट की छाल, पलाश की छाल, गूलर की छाल, खस, गन्ध तृष्ण, कुश की जड़, काश की जड़, सरकंडा की जड़, रास्ना, कचूर, बड़ी हर्रे, कूठ और मुलेठी प्रत्येक 120 ग्राम

सभी चीज़ों को जौकूट कर 60 लीटर पानी में पकाया जाता है. जब 20 लीटर पानी शेष बचे तो इसे चूल्हे से उतार कर छानकर, 5 किलो चीनी, 4 किलो शहद, धाय के फूल डेढ़ किलो अच्छी तरह से मिलाने के बाद 

नागकेशर, प्रियंगु, तालीसपत्र, तेज पात, दालचीनी और शीतल चीनी प्रत्येक 60 ग्राम लेकर चूर्ण बनाकर प्रक्षेप द्रव्य के रूप में मिलाकर संधिबंद कर सन्धान के लिए एक महीने के लिए रख दिया जाता है. एक महिना बाद छानकर बोतल में भरकर रख लें. यही सर्पगन्धारिष्ट है. 

 



06 मार्च 2022

Shivtandav Ras | शिवताण्डव रस

 

shivtandav ras

आज की आयुर्वेदिक औषधि का नाम है 'शिवताण्डव रस' तो आईये जानते हैं कि शिवताण्डव रस क्या है? इसकी निर्माण विधि और उपयोग के बारे में सबकुछ विस्तार से - 

शिवताण्डव रस 

इसका यह नाम कैसे पड़ा यह तो मुझे नहीं पता पर इसका वर्णन 'रस तरंग्नी' में है. इसके घटक और निर्माण विधि कुछ इस प्रकार से है - 

शिवताण्डव रस निर्माण के लिए चाहिए होता है शुद्ध बच्छनाग, रस सिन्दूर, शुद्ध पारद, शुद्ध गंधक और शुद्ध हरताल प्रत्येक 10-10 ग्राम और काली मिर्च का बारीक कपड़छन चूर्ण 40 ग्राम. 

निर्माण विधि यह है कि सबसे पहले पारा-गंधक की कज्जली बनाकर दूसरी सभी चीज़ें मिक्स कर अदरक के रस में घोटकर एक-एक रत्ती की गोलियां बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही शिवताण्डव रस कहलाता है. 

इसे सन्निपात रोग की उत्तम औषधि कहा गया है. रोगानुसार मात्रा और अनुपान देना चाहिए.