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29 अक्तूबर 2018

Paid Consultation | घर बैठे विशेषज्ञ आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पायें !!!


आज की जानकारी आप सभी के लिए बड़ा ही काम आने वाली है. जी हाँ दोस्तों, अगर आप या आपके फॅमिली में से कोई भी लोग किसी भी बीमारी से परेशान हैं और आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट चाहते हैं तो आपको यह घर बैठे ऑनलाइन मिल जाएगी.

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इन बीमारियों के उपचार की सलाह हमारे विशेषज्ञों द्वारा आपको मिल जाएगी -

►दमा, श्वास(अस्थमा) 

►एसिडिटी/हाइपर एसिडिटी 

►पेप्टिक अल्सर  

►गैस, गैस्ट्रिक 

►पुराना बुखार, मलेरिया, टाइफाइड 

►सर दर्द, माईग्रेन

►कब्ज़ 

►बवासीर, ख़ूनी बवासीर, बादी बवासीर 

►ल्यूकोरिया/मासिक विकार 

►बाँझपन, हिस्टीरिया 

►शरीर की सुजन 

►खाज-खुजली 

►चर्मरोग, मुहांसे, धब्बे, सफ़ेद दाग, एक्जिमा, सोरायसिस 

►केशरोग, बाल गिरना, सफ़ेद होना 

►घबराहट, ह्रदय की कमज़ोरी, हृदयरोग 

►उच्चरक्तचाप, कोलेस्ट्रोल वृद्धि 

►सर्दी-जुकाम, नज़ला 

►अवसाद, मानसिक रोग, डिप्रेशन 

►फैटी लिवर, लिवर-स्प्लीन की बीमारी, जौंडिस, हेपेटाइटिस 

►आँव आना, संग्रहणी, IBS 

►पेट के कीड़े 

►मधुमेह, बहुमूत्र 

►प्रोस्टेट ग्लैंड का बढ़ना

►पत्थरी, किडनी-ब्लैडर की पत्थरी, पित्ताशय की पत्थरी


►यूरिक एसिड 

►सिस्ट, मॉस, ट्यूमर, ग्लैंड, गण्डमाला, कंठमाला  

►इसनोफ़िलिया

►एलर्जी

►टी. बी. 

►गठिया, साइटिका, जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, वात व्याधि 

►मोटापा 

►वीर्य विकार, वीर्य का पतलापन, शुक्राणु की कम संख्या, शीघ्रपतन, नपुंसकता(नामर्दी), स्वप्नदोष, धात गिरना इत्यादि. 

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फ़्री सलाह पाने के लिए डायरेक्ट 'वैद्य जी' को WhatsApp करने के लिए यहाँ क्लिक कीजिये 

आप मर्द हों या औरत, बच्चे हों या बड़े अगर कोई भी बीमारी आपको है तो परेशान न हों. आप सभी के लिए विशेषज्ञ डॉक्टरों के टीम की सर्विस आपके लिए ला रहा हूँ. इस टीम में मेरे अलावा चार डॉक्टर हैं -

1. डॉक्टर देवेन्द्र पाठक(BAMS, MD) - कायचिकित्सा विशेषज्ञ और आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर हैं आप अनुभवी नाड़ी वैद्य हैं और मेरे गुर भी.

2. हकीम डॉ. नेशात आलम(आयुर्वेदाचार्य) - जीर्ण एवम जटिल रोग विशेषज्ञ. ये आयुर्वेद और यूनानी के वयोवृद्ध अनुभवी डॉक्टर हैं और यह भी मेरे गुरु हैं.

3. डॉ. इरशाद(BAMS) - स्पेशलिस्ट औफ़ मॉडर्न मेडिसिन 

4. डॉ. श्रीमती नीलम राय(BAMS) - स्त्रीरोग विशेषज्ञ. यह भी आयुर्वेदिक डॉक्टर हैं.







सक्सेसफुल पेमेंट के 24 घंटा के अन्दर(या जितना जल्दी सम्भव होगा) आपके दिए गये मोबाइल नंबर पर कॉल कर आपकी बीमारी की डिटेल ली जाएगी और उसके बाद हमारे एक्सपर्ट दवा की सलाह देंगे जो कि मैं आपको कॉल कर बता दूँगा और साथ ही आपके WhatsApp और ई मेल ID पर भी डिटेल्स भेज दी जाएगी. 

डिटेल्स में दवाओं का योग बता दिया जायेगा, खाने का तरीका बताया जायेगा और साथ ही परहेज़ के बारे में भी. आपका पूरा डाटा Confidential रहेगा, आपके बीमारी की बात सिर्फ़ मेरे, आपके और डॉक्टर्स के बीच रहेगी. यूट्यूब कमेंट की तरह पब्लिक नहीं.

फ़ीस कैसे पे करें?

दिए गए लिंक से PayTm अब आप कर सकते हैं - PayTm नंबर- 7645065097

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अगर आपको हमारे विशेषज्ञ डॉक्टरों की सलाह चाहिए तो अभी फीस पे कीजिये और हमारे एक्सपर्ट की सलाह पाईये, यहाँ एक बाद क्लियर कर दूं कि सिर्फ़ सलाह दी जाएगी, दवा नहीं. आने वाले समय में दवाएँ भी उपलब्ध कराने की कोशिश करूँगा. इसके बारे में कोई सवाल हो तो कमेंट कर पूछिये, आपके सवालों का स्वागत है. 


यहाँ विडियो में देख सकते हैं -


(पेमेंट आप्शन अपडेट किया गया है)


24 अक्तूबर 2018

Arshkuthar Ras for Piles | अर्शकुठार रस बवासीर की आयुर्वेदिक औषधि


बवासीर के लिए अर्शकुठार रस आयुर्वेद की जानी-मानी औषधि है. अर्शकुठार जैसा कि इसका नाम है वैसा की इसका काम है. अर्श का मतलब बवासीर या पाइल्स और कुठार का मतलब कुल्हाड़ी यानी बवासीर पर कुल्हाड़ी की तरह वार कर ठीक करने वाली दवा. तो आईये जानते हैं अर्शकुठार रस का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से -

अर्शकुठार रस का कम्पोजीशन -

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे पारा-गंधक के अलावा भस्मों और कई तरह की जड़ी-बूटियो को मिलाकर बनाया जाता है. इसमें शुद्ध पारा 40 ग्राम, शुद्ध गंधक, लौह भस्म और ताम्र भस्म प्रत्येक 80-80 ग्राम, सोंठ, मिर्च, पीपल, दन्तीमूल, सूरणकन्द, वंशलोचन, शुद्ध टंकण, यवक्षार और सेंधा नमक प्रत्येक 20-20 ग्राम, स्नुही का दूध 320 ग्राम और गोमूत्र डेढ़ लीटर मिला होता है.

अर्शकुठार रस निर्माण विधि - 

जड़ी-बूटियो का बारीक चूर्ण बना लें, और पारा-गन्धक को खरलकर कज्जली बना लें. कज्जली के बारे में यहाँ बता दूँ कि जब शुद्ध पारे को शुद्ध गन्धक के साथ मिलाकर पत्थर के खरल में पिसा जाता है तो पारे की चमक ख़त्म हो जाती है और यह काजल की तरह काले रंग का पाउडर बन जाता है. इसे ही आयुर्वेद में कज्जली कहा जाता है.

अर्शकुठार रस बनाने के लिए सेहुंड के दूध और गोमूत्र को कड़ाही में डालकर हलवे की तरह गाढ़ा होने तक पकाया जाता है, इसके बाद आँच से उतार कर जड़ी-बुटियों का चूर्ण और भस्म मिक्स कर इतना खरल करें कि गोली बनाने लायक हो जाये. अब इसकी 250mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. 

अर्शकुठार रस के फ़ायदे- 

अर्शकुठार रस बादी बवासीर या नॉन ब्लीडिंग पाइल्स में ज़्यादा असरदार है. नयी-पुरानी बवासीर के मस्से सुख जाते हैं, कब्ज़ दूर कर पेट साफ़ करता है. 

ब्लीडिंग वाले नए बवासीर में इस से फ़ायदा होता है, खुनी बवासीर अगर पुरानी हो तो इस से उतना फ़ायदा नहीं होता, उसके लिए कांकायन वटी अर्श लेना चाहिय.

अर्शकुठार रस की मात्रा और सेवन विधि – 

एक से दो गोली सुबह-शाम अभ्यारिष्ट या दूसरी पेट साफ़ करने वाली दवाओं के साथ लेना चाहिए. गुलकन्द या गर्म पानी से बादी बवासीर में लेना चाहिए.

बादी बवासीर(नॉन ब्लीडिंग पाइल्स) में - अर्शकुठार रस 2 गोली + कांचनार गुग्गुल 1 गोली + आरोग्यवर्धिनी वटी 1 गोली मिलाकर सुबह-शाम गुनगुने पानी या गुलकन्द के साथ खाकर ऊपर से 4 स्पून अभ्यारिष्ट पीना चाहिए.

वैसे तो सही डोज़ में लेने से इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं है, पर आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से इसे लेना बेस्ट रहता है. इसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -




इसे भी जानिए -






22 अक्तूबर 2018

Dhatri Lauh Benefits | धात्री लौह के फ़ायदे


यह आयुर्वेद की पॉपुलर दवाओं में से एक है जो पेट की कई तरह की बीमारियों को दूर करती है, तो आईये जानते हैं धात्री लौह का कम्पोजीशन, बनाने की विधि, इसके गुण और उपयोग के बारे में विस्तार से - 

धात्री लौह का कम्पोजीशन -

यह एक लौह भस्म प्रधान दवा है, इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है मुलेठी चूर्ण एक भाग, लौह भस्म दो भाग और आँवले का चूर्ण चार भाग. मुलेठी और आँवले का बारीक कपड़छन चूर्ण होना चाहिए. 

सभी को अछी तरह से खरल कर ताज़े गिलोय के रस की दो-तीन भावना देकर 500mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. कुछ कंपनियां इसका टेबलेट बनाती है तो कुछ इसे पाउडर फॉर्म में ही रखती हैं. यह बना-बनाया मार्केट में मिल जाता है. 

धात्री लौह की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक खाना से पह ले या बाद में घी या शहद के साथ लेना चाहिए.

धात्री लौह के फ़ायदे -

खाना खाने के बाद पेट दर्द होना, खाने पचने टाइम पेट दर्द होना, सिने की जलन, खट्टी डकार, एसिडिटी, अपच और कब्ज़ जैसी बीमारीओं में यह बेहद असरदार है.

लौह भस्म मिला होने से खून की कमी या एनीमिया और जौंडिस में भी इस से फ़ायदा होता है. 

इस से पाचन शक्ति ठीक होती है और सफ़ेद हुवे बालों को काला करने में हेल्प करता है.

बच्चों के लिए भी फ़ायदेमन्द है अगर सही डोज़ में दिया जाये. इसका लगातार इस्तेमाल करने से कमज़ोरी दूर होती है और इम्युनिटी पॉवर भी बढ़ती है. इसे आप ऑनलाइन भी खरीद सकते हैं निचे दिए लिंक से -




इसे भी जानिए - 




18 अक्तूबर 2018

IBS Treatment | संग्रहणी का आयुर्वेदिक उपचार - Vaidya Ji Ki Diary


आज वैद्य जी की डायरी में मैं आज बताने वाला हूँ संग्रहणी या IBS के लिए असरदार आयुर्वेदिक योग के बारे में. 

जी हाँ दोस्तों, आप में से कई लोग अक्सर पूछते रहते हैं इस बीमारी के इलाज के बारे में. तो आईये जानते हैं संग्रहणी या IBS के लिए इफेक्टिव आयुर्वेदिक योग की पूरी डिटेल - 

जैसा कि आप सभी जानते है IBS में रोगी को कई बार दस्त होते हैं जो तरह-तरह की दवा लेने पर भी जल्दी ठीक नहीं होता है. आज मैं इसके लिए बेहद असरदार आयुर्वेदिक योग बता रहा हूँ जिसे एक बार ट्राई ज़रूर करें-

इसके लिए आपको चाहिए होगा - 

प्रवाल पंचामृत रस(मोती युक्त) 5 ग्राम 

पंचामृत पर्पटी 5 ग्राम 

वृहत लोकनाथ रस 10 ग्राम 

कुटजघन वटी 10 ग्राम 

भुने हुवे जीरे का चूर्ण 10 ग्राम

बिल्वावलेह

चित्रकादि वटी 

कुटजारिष्ट

प्रवाल पंचामृत रस(मोती युक्त) 5 ग्राम + पंचामृत पर्पटी 5 ग्राम + वृहत लोकनाथ रस 10 ग्राम + कुटजघन वटी 10 ग्राम + भुने हुवे जीरे का चूर्ण 10 ग्राम. 

सभी को पीसकर अछी तरह से मिलाकर 40 मात्रा बना लेना है. एक-एक मात्रा रोज़ दो से तीन बार तक एक स्पून बिल्वावलेह के साथ देना चाहिए. 

खाना के बाद 2 गोली चित्रकादि वटी और चार स्पून कुटजारिष्ट पीना चाहिय. लगातार कुछ हफ्ते तक इसका इस्तेमाल से करने से आप IBS से छुटकारा पा सकते हैं.

इसका इस्तेमाल करते हुवे हल्का और आसानी से पचने वाला खाना खाएं. तेल-मसाला वाले हैवी फ़ूड, नॉन वेज और फ़ास्ट फ़ूड बिल्कुल नहीं खाना चाहिए. 




वैद्य जी की डायरी के दुसरे चमत्कारी योग को यहाँ देखें 

05 अक्तूबर 2018

Ajmodadi Churna | अजमोदादि चूर्ण सुजन और दर्द की औषधि


अजमोदादि चूर्ण क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो सुजन और हर तरह के वात रोगों में बेहद असरदार है. इसके इस्तेमाल से सुजन, जोड़ों का दर्द, गठिया, साइटिका, आमवात, कमर दर्द, पीठ का दर्द और बॉडी का दर्द जैसे वातरोग दूर होते हैं. तो आईये जानते हैं अजमोदादि चूर्ण का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से -

अजमोदादि चूर्ण के घटक या कम्पोजीशन -

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसमें अजमोद के अलावा दूसरी कई सारी जड़ी-बूटियाँ होती हैं. यह दो तरह के योग से बनाया जाता है. सबसे पहले जानते हैं प्रचलित योग के बारे में -

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है अजमोद, वायविडंग, सेंधा नमक, देवदार, चित्रकमूल छाल, सोया, पीपल, पीपलामूल और काली मिर्च प्रत्येक 10-10 ग्राम, हर्रे 50 ग्राम, विधारा और सोंठ प्रत्येक 100 ग्राम. सभी को कूट-पीसकर चूर्ण बना लिया जाता है. यह शारंगधर संहिता का योग है. इसमें गुड़ मिलाकर बड़ी-बड़ी गोलियाँ भी बनाया जाता है जिसे अमोदादि वटक कहते हैं.

दुसरे वाले अजमोदादि चूर्ण का कम्पोजीशन कुछ इस तरह से होता है - अजमोद, बच, कूठ, अमलतास, सेंधा नमक, सज्जीक्षार, हर्रे, त्रिकटु, ब्रह्मदंडी, मोथा, हुलहुल, सोंठ और काला नमक. सभी को बराबर वज़न में लेकर चूर्ण बनाया जाता है. दोनों ही योग के फ़ायदे एक जैसे ही होते हैं, पहले वाले योग को ही मैंने रोगियों पर इस्तेमाल कर अच्छा रिजल्ट देखा है.

अजमोदादि चूर्ण के गुण- यह वात और कफ़ नाशक है. दर्द-सुजन दूर करने वाला, वायु नाशक और पाचक होता है.

अजमोदादि चूर्ण  के फ़ायदे -

आमवात जिसमे जोड़ों में दर्द हो, सुजन में, शरीर में सुजन और हल्का बुखार हो तो इसे दूसरी वातनाशक औषधियों के साथ देने से अच्छा लाभ मिलता है.

गठिया, साइटिका, कमर दर्द, पीठ दर्द या फिर बॉडी में कहीं भी दर्द-सुजन हो तो इसका इस्तेमाल करना चाहिए. इसे लॉन्ग टाइम तक यूज़ करने से ही पूरा फ़ायदा दीखता है.

अजमोदादि चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि - 

तीन से छह ग्राम तक सुबह-शाम गर्म पानी से लेना चाहिए. यह ऑलमोस्ट सेफ दवा है, किसी तरह कोई नुकसान नहीं होता है लॉन्ग टाइम तक यूज़ करने से भी. इसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - 




इसे भी जानिए -



02 अक्तूबर 2018

Parpatadhrishta | पर्पटाद्यरिष्ट के फ़ायदे


पर्पटाद्यरिष्ट क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो लिवर-स्प्लीन की बीमारी, जौंडिस, कामला, हेपेटाइटिस, सुजन और मलेरिया में बेहद असरदार है. तो आईये जानते हैं पर्पटाद्यरिष्ट का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में पूरी डिटेल - 

पर्पटाद्यरिष्ट का कम्पोजीशन-

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है पर्पटा नाम की बूटी ही इसका मुख्य घटक है. पर्पटा को ही पित्तपापड़ा के नाम से जाना जाता है. 

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए पित्तपापड़ा 5 किलो लेकर 40 लीटर पानी के क्वाथ बनायें और जब 10 लीटर पानी बचे तो ठण्डा होने पर छानकर पुराना गुड़ 10 किलो और धाय के फूल आधा किलो मिक्स करें. गिलोय, सोंठ, मिर्च, पीपल, नागरमोथा, दारूहल्दी, छोटी कटेरी, धमासा, चव्य, चित्रकमूल और वायविडंग प्रत्येक 50-50 ग्राम का जौकुट चूर्ण मिक्स कर रिष्ट वाले चिकने बर्तन में सन्धान के लिए रख दिया जाता है. 

एक महिना बाद अच्छी तरह से फ़िल्टर कर काँच के बोतल में भरकर रख लेना चाहिए. इसे आयुर्वेदिक प्रोसेस आसव-अरिष्ट निर्माण विधि से ही बनाया जाता है जो कि औषध निर्माण में अनुभवी वैद्य ही बना सकता है. यह बना बनाया मार्केट में शायेद ही मिलता हो.

पर्पटाद्यरिष्ट के फ़ायदे -

यह लिवर-स्प्लीन की हर तरह की बीमारी में बेहद इफेक्टिव है. लिवर बढ़ा हो, स्प्लीन बढ़ा हो, जौंडिस हो या फिर हेपेटाइटिस भी हो तो इस से फ़ायदा होता है. पर इसके साथ में और भी दवाएँ लेनी चाहिए.

पेट की बीमारी, गोला बनना, सुजन, मलेरिया, भूख की कमी और दिल की कमज़ोरी में भी फ़ायदा होता है.

यह पाचन तंत्र को ठीक कर भूख बढ़ाता है. 

पर्पटाद्यरिष्ट की मात्रा और सेवन विधि - 15 से 30 ML तक सुबह-शाम खाना के बाद बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, बस शुगर वाले रोगी को यूज़ नहीं करें क्यूंकि इसमें गुड़ की मात्रा होती है.