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22 फ़रवरी 2022

Kshudhasagar Ras | क्षुधासागर रस के फ़ायदे

kshudhasagar ras

आज मैं जिस आयुर्वेदिक औषधि की जानकारी देने वाला हूँ इसका नाम है क्षुधासागर रस 

यह एक रसायन औषधि है जो अग्नि को बढ़ाकर कड़ाके की भूख लगाती है तो आईये इसके घटक, निर्माण विधि और फ़ायदे के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं - 

क्षुधासागर रस के घटक और निर्माण विधि 

भैसज्य रत्नावली का यह योग है इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध पारा, शुद्ध गन्धक, सोंठ, मिर्च, पीपल, हर्रे, बहेड़ा, आँवला, जवाखार, सज्जीखार, टंकण भस्म, काला नमक, सेंधा नमक, समुद्र लवण, विड लवण, साम्भर लवण प्रत्येक एक-एक भाग और शुद्ध बच्छनाग दो भाग. 

निर्माण विधि कुछ इस तरह से है कि सबसे पहले पारा-गंधक को पत्थर के खरल में डालकर कज्जली बना लें इसके बाद दूसरी सभी चीजों का बारीक कपड़छन चूर्ण बनाकर मिलाकर तीन दिन तक पानी के साथ खरल कर एक-एक रत्ती या 125 मिलीग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है. यही क्षुधासागर रस कहलाता है. 

क्षुधासागर रस की मात्रा और सेवन विधि 

एक-एक गोली सुबह-शाम लौंग का चूर्ण मिलाकर गर्म पानी के साथ, या रोगानुसार उचित अनुपान से 

क्षुधासागर रस के फ़ायदे 

यह न सिर्फ़ भूख बढ़ाता है बल्कि पेट की बीमारियों जैसे पेट दर्द, गोला बनना, गैस चढ़ना, पेट फूलना, अपच, दस्त, पेट गुड़-गुड़ करना इत्यादि को दूर करता है. 

वात और कफ जनित विकारों में इसका सेवन करना चाहिए. बढ़े हुए पित्त दोष और अल्सर में इसका सेवन न करें. 

चूँकि यह रसायन औषधि है तो इसे स्थानीय वैद्य जी की देख रेख में ही लें. मार्किट में यह शायेद ही मिले, सिद्धहस्त वैद्यगण इसका निर्माण कर प्रयोग कराते हैं. 

इसी के जैसा काम करने वाली भूख बढ़ाने वाली औषधि 'अग्निवर्द्धक क्षार' आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं जिसका लिंक दिया गया है. 

अग्निवर्द्धक क्षार




13 फ़रवरी 2022

Honey Truth | मीठा ज़हर, बाज़ार का शहद | कहीं आप मीठा ज़हर तो नहीं खा रहे हैं?

 

lakhaipur pure honey

शहद और इसके फ़ायदे के बारे में कौन नहीं जानता. छोटे बच्चों से लेकर बड़े-बूढ़े सभी लोग इसे पसन्द करते हैं. और आयुर्वेद की अधिकतर औषधियों को शहद के साथ सेवन किया जाता है. 

पर क्या आप जानते हैं कि जिस मीठी चीज़ को अमृत समझ कर आप सेवन कर रहे हैं वह मीठा ज़हर भी हो सकता है? पर कैसे? यही सब आज बताने वाला हूँ, आईये सबकुछ विस्तार से जानते हैं - 

मधु, हनी या शहद आप जो भी नाम लें इसका, सबसे ज़्यादा मिलावट की जाने वाली दुनिया की चीजों में से यह एक है. 

असली शहद अमृत तुल्य माना जाता है जिसे हर उम्र के लोग हर तरह की बीमारी इसका सेवन कर लाभ उठाते हैं. 

शहद के फ़ायदे 

इसके फ़ायदे तो आप जानते ही होंगे, संक्षिप्त में बता दूँ कि यह इम्युनिटी बूस्टर, एन्टी, ऑक्सीडेंट, एंटी सेप्टिक, एन्टी बैक्टीरियल जैसे गुणों से भरपूर होता है. यह सब फ़ायदे आपको तभी मिलेंगे जब शहद असली हो. 


विज्ञान ने आज इतना तरक्की कर ली है कि बिल्कुल शहद जैसी चीज़ प्रयोगशाला में बनने लगी है जो की बहुत सस्ती होती है कौड़ी के भाव की. 

आपको यकीन नहीं होगा भारत में बिक रहे शहद के जितने भी पॉपुलर ब्रांड हैं उनमे से अधिकतर नक़ली शहद है. रिपोर्ट में आया है कि 13 में से 10 ब्रांड के शहद बिल्कुल बनावटी हैं, मिलावटी हैं. इनमे छोटे-बड़े ब्रांड से लेकर नयी-पुरानी बहुत सी कंपनियाँ हैं जिसमे डाबर, बैद्यनाथ, पतंजलि, झंडू जैसी कम्पनियां. 

इनके बड़े-बड़े ऐड/विज्ञापन आप सुबह से शाम तक टीवी पर देख सकते हैं, जो असली शहद के नाम पर लोगों को मूर्ख बनाते हैं.

आज के समय में शहद का जितना खपत होता है उसका 25% तक भी मधुमखियों से या प्राकृतिक तौर पर उत्पादन नहीं होता है. पर जहाँ भी मार्केट में देखें शहद की कभी क़िल्लत नहीं होती है, आप जितना चाहें मिल जायेगा.

इसी से आप समझ सकते हैं कि इतना शहद आता कहाँ से है. सस्ती वस्तुओं का वैश्विक निर्माता चाइना बनावटी शहद दुनिया के अधिकतर देशों को सप्लाई कर रहा है. यह ऐसा बनावटी शहद बनाता है कि हमारे देश भारत की किसी भी लेबोरेटरी में आप टेस्ट करा लो, पकड़ में नहीं आयेगा. यह लोग खुले तौर पर बताते हैं कि हमारा शहद लो आपके देश के फलां-फलां टेस्ट में यह पकड़ में नहीं आयेगा. यह नक़ली शहद जो है वह शुगर सिरप का मॉडिफाइड वर्ज़न है. 

मिलावट का यह बाज़ार कोई नया नहीं है, कभी-कभार न्यूज़ में इस तरह की सच्चाई आती है पर यह लोग इतने बड़े मार्केट लीडर और माफ़िया हैं कि कोई इनके सामने टिक नहीं पायेगा. आप चाहें तो गूगल पर सर्च कर लें इस से रिलेटेड ख़बर मिल जाएगी. 

अब सवाल यह उठता है कि असली शहद कहाँ से मिलेगा? 

असली शहद के लिए अगर आपके आस-पास मधुमक्खी का छत्ता है तो वहां से निकलवाएँ, या फिर हनी फार्म जाकर अपने सामने शहद निकलवाएँ. 

मेरे चिकित्सालय में औषधिय प्रयोग के लिए असली शहद निकलवाता हूँ. झारखण्ड/बिहार के बॉर्डर के जंगल से बिल्कुल प्राकृतिक आर्गेनिक हनी. स्थानीय आदिवासी समुदाय के व्यक्ति जंगली पेड़ों से ढूंडकर शहद निकालते हैं हमारे गाइड की देख रेख में. यह अलग-अलग सीजन में अलग टेस्ट और थोड़ा अलग रंग का होता है. यह सिमित मात्रा में ही मिलता है, जिस से हमारे क्लिनिक की ज़रुरत पूरी हो जाती है.

अगर आप यह असली शहद ट्राई करना चाहते हैं तो इसका लिंक दिया गया है, मंगाकर यूज़ कीजिये और अपने अनुभव कमेंट कर बताईये. 

असली शहद ऑनलाइन ख़रीदें 

यदि आप शहद के रोगानुसार प्रयोग और इसके फ़ायदों के बारे में डिटेल जानकारी चाहते हैं तो कमेंट कर ज़रूर बताईये. 





07 फ़रवरी 2022

Chavikasava Benefits | चविकासव के फ़ायदे

chavikasava benefits


आज मैं जिस आयुर्वेदिक औषधि की जानकारी देने वाला हूँ उसका नाम है चविकासव

इसका नाम आज से पहले आपने शायेद ही सुना होगा, तो आईये जानते हैं चविकासव क्या है? इसके गुण उपयोग और निर्माण विधि के बारे में सबकुछ विस्तार से - 

 चविकासव के घटक या कम्पोजीशन 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है चव्य इसका मुख्य घटक है, इसे ही चाभ, चव्यक जैसे नामों से भी जाना जाता है. 

chavya


चविकासव के घटक या कम्पोजीशन की बात करें तो इसके निर्माण के लिए चाहिए होता है- 

क्वाथ द्रव्य 

चव्य ढाई किलो, चित्रकमूल सवा किलो, काला जीरा, पोहकरमूल, बच, हाऊबेर, कचूर, पटोलपत्र, हर्रे, बहेड़ा, आमला, अजवायन, कूड़े की छाल, इन्द्रायणमूल, धनियाँ, रास्ना, दन्तीमूल प्रत्येक 500 ग्राम, वायविडंग, नागरमोथा, मंजीठ, देवदारु, सोंठ, काली मिर्च, पीपल प्रत्येक 250 ग्राम 

प्रक्षेप के लिए- 

धाय के फूल 1 किलो, दालचीनी, छोटी इलायची, तेजपात, नागकेशर प्रत्येक 75 ग्राम, लौंग, सोंठ, काली मिर्च, पीपल और शीतल चीनी प्रत्येक 50-50 ग्राम 

गुड़- 15 किलो और पानी 200 लीटर

चविकासव निर्माण विधि 

सबसे पहले क्वाथ द्रव्यों को मोटा-मोटा जौकूट कर 25 लीटर पानी रहने तक क्वाथ किया जाता है. इसके बाद छानकर गुड़ और प्रक्षेप द्रव्यों का जौकुट चूर्ण मिलाकर चिकने पात्र में डालकर एक महिना के लिए संधान के लिए छोड़ दिया जाता है. एक महिना के बाद छानकर बोतलों में भर लिया जाता है. यही चविकासव है. 

चविकासव की मात्रा और सेवन विधि 

15 से 30 ML तक सुबह-शाम भोजन के बाद बराबर मात्रा में जल मिलाकर लेना चाहिए

चविकासव के गुण 

दीपक, पाचक, सारक, गुल्म, मेह नाशक और उष्ण वीर्य है 

चविकासव के फ़ायदे 

इसके सेवन से वातज गुल्म, कफज गुल्म और वात कफज गुल्म नष्ट होते हैं. 

लिवर और अग्नाशय की विकृति को दूर कर इक्षुमेह, लालामेह को नष्ट करता है. 

सर्दी, खाँसी, बार-बार छींक आना, नाक और गले का दर्द, बदन दर्द, नाक से पानी बहते रहना जैसी समस्याओं को दूर करता है. 

लिवर-स्प्लीन की विकृति, पाचन की कमज़ोरी, अजीर्ण इत्यादि को दूर कर सम्पूर्ण पाचन तंत्र को दृढ़ बनता है. यह रक्त वर्धक और पित्त वर्धक भी है.

आसान शब्दों में कहूँ तो गैस, पेट में गोला बनना, लिवर-स्प्लीन की बीमारी और सर्दी-जुकाम के लिए यह असरदार औषधि है. 

चविकासव ऑनलाइन ख़रीदें - Kotakkal Chavikasava 450ml




02 फ़रवरी 2022

Krishna Beejadi Churna | कृष्ण बीजादि चूर्ण

krishna beejadi churna

आज से पहले इन्टरनेट पर किसी ने भी इसके बारे में नहीं बताया है. तो आईये जानते हैं कि कृष्ण बीजादि चूर्ण क्या है? इसके फ़ायदे, इसका कम्पोजीशन और निर्माण विधि के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं- 

कृष्ण बीजादि चूर्ण के घटक या कम्पोजीशन - 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक कृष्ण बीज होता है, जिसे कालादाना भी कहा जाता है. 

इसके घटक या कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होता है कृष्ण बीज या काला दाना, सोंठ, सनाय पत्ती, बड़ी हर्रे, सौंफ़, इसबगोल की भूसी और मिश्री प्रत्येक समभाग. सभी को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें, बस कृष्ण बीजादि चूर्ण तैयार है. 

कृष्ण बीजादि चूर्ण के फ़ायदे 

कब्ज़ या Constipation दूर करने के लिए इसे प्रयोग किया जाता है. 

मल शुद्धि के लिए वैद्यगण इसका प्रयोग कराते हैं. 

यह आंतों की क्रियाशीलता को बढ़ाता है, गैस दूर करता है और पाचन शक्ति को इम्प्रूव करने में मदद करता है. 

यह साधारण सा पर कमाल का नुस्खा है जिसे अधिकतर लोग गुप्त ही रखते हैं. 

यह मार्केट में नहीं मिलता, खुद बनाकर प्रयोग करें, अगर नहीं बना सकें तो इसी के जैसा लाभ देने वाली औषधि 'सुगम चूर्ण' आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं.