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30 मई 2019

Punswan Capsule | पुंसवन कैप्सूल – पुत्र प्राप्ति की आयुर्वेदिक औषधि


आज मैं बताने वाला हूँ पुत्र प्राप्ति में मदद करने वाली आयुर्वेदिक औषधि पुंसवन कैप्सूल के बारे में. तो आईये इसके बारे में डिटेल्स जानते हैं - 

अगर कोई दम्पति चाहते हैं कि उनकी आने वाली संतान पुत्र या बेटा हो तो इस दवा इस्तेमाल करना चाहिए. यह औषधि आयुर्वेद के पुंसवन कर्म पर आधारित है जिसके प्रयोग से पुत्र प्राप्ति होती है. यह गर्भ में पल रहे शिशु का सम्यक पोषण करने में भी सहायक है. इसे कैप्सूल के रूप में प्रस्तुत किया गया जिसे हर किसी को लेने में आसानी होती है.

मात्रा और प्रयोग विधि –

 Pregnancy का पता लगते ही यानी जब Pregnancy कन्फर्म हो जाये तो इसे एक-एक कैप्सूल सुबह-शाम गाय के दूध से लगातार तीन महीने तक लेना चाहिए. 

बस ध्यान रखें की दवा उल्टी न हो, अगर खाने के बाद किसी टाइम उल्टी हो जाये तो फिर एक कैप्सूल खा लेना चाहिए.

परहेज़- महिला को सुपाच्य आहार या आसानी से पचने वाले भोजन देना चाहिए. तले हुवे पदार्थ, खट्टी चीज़ें, अधीक मिर्च मसाला वाले भोजन से परहेज़ रखना चाहिए.

सैंकड़ों महिलाओं पर इसका प्रयोग कराकर अच्छी सफ़लता पायी गयी है, विश्वास के साथ प्रयोग करें. 

पुंसवन कैप्सूल के एक पैक की कीमत है सिर्फ 320 रुपया, एक पैक में 60 कैप्सूल हैं जो पुरे एक महीने के लिए हैं. इसे लगातार तीन महीने तक यूज़ करना है, तो एक साथ 3 पैक आर्डर कर लें. यह ऑनलाइन अवेलेबल है हमारे स्टोर www.lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है. 

पुंसवन कैप्सूल के साथ यदि 'पुंसवन योग' भी प्रयोग किया जाये तो पुत्र प्राप्ति की सम्भावना बढ़ जाती है. 



तो दोस्तों, अगर आप अपनी अगली संतान पुत्र के रूप में चाहते हैं तो पुंसवन कैप्सूल का प्रयोग अवश्य करें. आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति ज़रूर होगी, यह आयुर्वेद का वरदान है. 

पुंसवन कर्म- मनचाही संतान बेटा या बेटी कैसे प्राप्त करें 

शिवलिंगी बीज, बेटा प्राप्त करने की बूटी 



28 मई 2019

Kalmeghasava Benefits in Hindi | कालमेघासव के फ़ायदे


कालमेघासव आयुर्वेदिक औषधि है जो हर तरह के मलेरिया बुखार में प्रयोग की जाती है, यह लिवर और स्प्लीन बढ़ने में भी असरदार है तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं - 

कालमेघासव जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कालमेघ से बना हुवा आसव या एक तरह का सिरप. इसमें सिर्फ़ कालमेघ नहीं होता, बल्कि कालमेघ इसका मुख्य घटक है और इसमें कई तरह की दूसरी जड़ी-बूटियाँ भी होती हैं, तो सबसे पहले जानते हैं- 

कालमेघासव के घटक या कम्पोजीशन - 

इसे कालमेघ, गिलोय, सप्तपर्ण, कुटकी, करंज पञ्चांग, कुटज छाल, गुड़, धाय के फूल, लौह चूर्ण, रक्तरोहिड़ा त्वक, त्रिकटु, त्रिजात, एलुआ, हर्रे, बहेड़ा और बबूल की छाल के मिश्रण से आसव निर्माण विधि से सन्धान या Fermentation होने के बाद इसे बनाया जाता है. 

कालमेघासव के गुण - 

इसके गुणों की बात करें तो यह विषम ज्वर नाशक, Anti Malarial, Liver protective, Digestive, रक्त प्रसादक या Heamatemic जैसे कई तरह के गुणों से भरपूर होता है.

कालमेघासव के फ़ायदे - 


  • इसके इस्तेमाल से हर तरह की मलेरिया बुखार और ठण्ड लगकर आने वाली बुखार दूर होती है. 
  • मलेरिया पुराना होने पर लिवर-स्प्लीन बढ़ जाती है, अंग्रेज़ी दवाओं के साइड इफ़ेक्ट से खून की कमी, जौंडिस और भूख की कमी जैसी प्रॉब्लम भी हो जाती है, वैसी अवस्था में इसके सेवन से लाभ होता है. 
  • इसके सेवन से भूख बढ़ती है, खून की कमी दूर होती है. रस-रक्तादि धातुओं का शोधन कर यह बुखार हमेशा के लिए दूर कर देता है. 

कालमेघासव की मात्रा और सेवन विधि - 

15 से 30 ML तक रोज़ दो से तीन बार तक भोजन के बाद बराबर मात्रा में पानी मिक्स कर लेना चाहिए. इसके साथ दुसरे ज्वरनाशक योग लेने से अच्छा लाभ मिलता है. 


24 मई 2019

प्रदरान्तक कैप्सूल/टेबलेट ल्यूकोरिया/सफ़ेद पानी की कारगर दवा | Leucorrhea Ayurvedic Medicines


महिलाओं की बीमारी ल्यूकोरिया को लोग कई तरह के नामों से जानते हैं जैसे सफ़ेद पानी आना, धात गिरना, श्वेत प्रदर/रक्त प्रदर इत्यादि. यह ऐसी बीमारी है जो शरीर में घुन की तरह लग जाता है जिस से महिलाओं का स्वास्थ ख़राब हो जाता है. इस बीमारी को जड़ से दूर करने के लिए कम से तीन तरह की दवाओं को साथ लेना चाहिए जिसे आज बता रहा हूँ – प्रदरान्तक कैप्सूल, प्रदरान्तक टेबलेट और पुष्यानुग चूर्ण. तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं – 

सबसे पहेल जानते हैं प्रदरान्तक कैप्सूल के बारे में. जैसा कि इसका नाम है प्रदर यानि ल्यूकोरिया का अंत करने वाला

प्रदरान्तक कैप्सूल का कम्पोजीशन – 

अशोक घनसत्व, उदम्बर घनसत्व, लोध्र घनसत्व, चौलाई घनसत्व, खरैटी घनसत्व, संगजराहत भस्म और स्फटिक भस्म जैसी बेजोड़ और असरदार औषधियों के मिश्रण से इसे  बनाया गया है. 

अब जानते हैं प्रदरान्तक टेबलेट के बारे में –

प्रदरान्तक टेबलेट के घटक या कम्पोजीशन –

इसके घटक भी ऑलमोस्ट सेम हैं प्रदरान्तक कैप्सूल जैसे. ल्यूकोरिया के लिए हिमालया लुकोल के बारे में मैंने बताया है जिस से अनेकों लोगों को फ़ायदा हुआ है, पुराने ल्यूकोरिया में अगर उस से फ़ायदा न हुआ हो तो यहाँ बताई दवाओं का प्रयोग करना चाहिए.

पुष्यानुग चूर्ण – 

यह एक पोपुलर क्लासिक मेडिसिन है जिसकी डिटेल यहाँ पढ़ सकते हैं. 

आईये अब जानते हैं इन औषधियों के फ़ायदे- 

सफ़ेद पानी या ल्यूकोरिया और लाल पानी में यह विशेष उपयोगी है. ल्यूकोरिया की वजह से होने वाले कमर दर्द, पीठ दर्द, हाथ-पैरों की जलन, लगातार रहने वाला सर दर्द, कमज़ोरी, खून की कमी, भूख की कमी इत्यादि रोग दूर होते हैं. 

इन दवाओं के सेवन से ल्यूकोरिया की बीमारी दूर होकर महिलाओं का स्वास्थ ठीक हो जाता है. 

नयी पुरानी हर तरह की बीमारी में इन दवाओं को साथ में लेना चाहिए.

अब जानते हैं इसकी मात्रा और प्रयोग विधि – 

प्रदरान्तक कैप्सूल एक-एक सुबह शाम पानी से. प्रदरान्तक टेबलेट एक-एक सुबह-शाम पानी से. पुष्यानुग चूर्ण एक स्पून शहद या चावल के धोवन से लेना चाहिए. भोजन के बाद चार स्पून पत्रांगासव भी लिया जाये तो अति उत्तम. 

ल्यूकोरिया के लिए तरह-तरह की दवा खाकर थक गए हों तो भी इन दवाओं के इस्तेमाल से बीमारी दूर हो जाती है. 

इन औषधियों का सेवन करते हुवे तेज़ मिर्च-मसाला, खटाई और गरिष्ठ भोजन का त्याग करना चाहिए. 

प्रदरान्तक कैप्सूल, प्रदरान्तक टेबलेट और पुष्यानुग चूर्ण तीनों दवा ऑनलाइन अवेलेबल है उचित मूल्य में हमारे स्टोर lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है. 

प्रदरान्तक कैप्सूल(180 rupya)

प्रदरान्तक टेबलेट(160 सिर्फ़ 160 रुपया)

पुष्यानुग चूर्ण 100 ग्राम(सिर्फ़ 146 रुपया)


20 मई 2019

Tarang Gold Massage Oil | तरंग गोल्ड मसाज आयल- पुरुषों के लिए



कई नवयुवक अप्राकृतिक कर्मों या फिर दूसरी वजह से नसों की कमजोरी, लिंग का ढीलापन, साइज़ का छोटापन और शीघ्रपतन जैसी कई तरह की प्रॉब्लम के शिकार हो जाते हैं और इसके लिए कई तरह के तेल और तिला का प्रयोग करते रहते हैं. अगर आपको किसी अच्छे और इफेक्टिव तेल की ज़रूरत है तो आज की जानकारी आपके लिए. जी हाँ दोस्तों, आज मैं  बताने वाला हूँ तरंग गोल्ड मसाज आयल के बारे में जो न सिर्फ़, नसों की कमज़ोरी और ढीलापन दूर करता है बल्कि साइज़ को भी बढ़ाने में मदद करता है, तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं –

तरंग गोल्ड मसाज आयल मालिश के लिए बेहतरीन तेल है जो अपने क्वालिटी के हिसाब से चीप एंड बेस्ट है. इस से कमज़ोर कम्पोजीशन वाले तेल तो मार्केट में हज़ार रूपये में लुटने वाली कंपनियाँ बेच रही हैं.

इसे विशुद्ध आयुर्वेदिक प्रोसेस से तिल तेल के बेस पर मालकांगनी, अकरकरा, असगन्ध, जायफल, लौंग, कूठ, कुचला और दालचीनी जैसी असरदार औषधियों के मिश्रण से बनाया गया है.

तरंग गोल्ड मसाज आयल के फ़ायदे –

नसों की कमज़ोरी, ढीलापन, शीघ्रपतन, साइज़ का छोटापन और तनाव की कमी जैसी प्रॉब्लम में इस तेल की मालिश से स्थायी लाभ होता है.

समागम से दस मिनट पहले मालिश करने से पूर्ण आनन्द की प्राप्ति होती है.

तरंग गोल्ड मसाज आयल की प्रयोग विधि –

शिश्न के मणिभाग या ग्लान्स पेनिस को छोड़कर दो-तीन मिनट तक हल्की मालिश करनी चाहिए. मैरिड/अनमैरिड सभी लोग इसका प्रयोग कर सकते हैं. 

साइज़ का छोटापन और ढीलापन वाले युवकों को सुबह-शाम इसकी मालिश करनी चाहिए. पुरे फ़ायदे के लिए लगातार दो-तीन महीने तक प्रयोग करें. यह बिल्कुल सेफ़ होता है, किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता है.

25 ML का दो पैक सिर्फ़ 175 रुपया में ऑनलाइन अवेलेबल है जिसका लिंक दिया गया है-







16 मई 2019

Heart Disease Treatment | ह्रदयरोगों की असरदार औषधि- हृदयरोगान्तक कैप्सूल/चूर्ण



दिल की बीमारी या हार्ट डिजीज, यह सुनकर ही कुछ लोग घबरा जाते हैं. पर आप घबराएँ नहीं, इसकी चीप एंड बेस्ट दवा बताने वाला हूँ.

ह्रदयरोगान्तक कैप्सूल और ह्रदयरोगान्तक चूर्ण. यह तरह की हार्ट की प्रॉब्लम के लिए बेजोड़ है, चाहे दिल की कमजोरी हो, धड़कन बढ़ती हो, ब्लॉकेज हो या फिर ब्लड प्रेशर. तो आईये इन दोनों दवाओं के बारे में विस्तार से जानते हैं –

हार्ट की बीमारी को लोग अक्सर महँगी बीमारी समझते हैं और ऐसा है भी. पर इसके कुछ सस्ते उपाय भी हैं जो आज बता रहा हूँ. आम आदमी के लिए महँगा ट्रीटमेंट आसान नहीं है, पर आयुर्वेद में इसका भी उपाय है. अर्जुन हृदय रोगों की प्रसिद्ध आयुर्वेदिक औषधि है और इसी का योग है ह्रदयरोगान्तक कैप्सूल और ह्रदय रोगान्तक चूर्ण. तो सबसे पहले जानते हैं -

ह्रदयरोगान्तक कैप्सूल के घटक या कम्पोजीशन – 

इसे अर्जुनत्वक घनसत्व, अर्जुनत्वक चूर्ण, मुक्ता पिष्टी और अकीक पिष्टी के मिश्रण से बनाया गया है.

ह्रदयरोगान्तक कैप्सूल के फ़ायदे-

हार्ट की हर तरह की बीमारी में बेहद असरदार है. हार्टबीट या धड़कन बढ़ना, घबराहट होना, हार्ट में दर्द होना, हार्ट की कमज़ोरी, वाल्व की कमज़ोरी और हार्ट की ब्लॉकेज में इस से फ़ायदा होता है. यह ब्लड प्रेशर को नार्मल करता है, BP लो होने या BP हाई होने में भी असरदार है.

ह्रदयरोगान्तक कैप्सूल की  मात्रा और सेवन विधि – एक से दो कैप्सूल सुबह-शाम अर्जुनारिष्ट या अर्क गावज़बाँ से लेना चाहिए.

ह्रदयरोगान्तक चूर्ण              

इसका कम्पोजीशन सिंपल पर बेजोड़ है. से अर्जुन की छाल, असगंध और पोहकरमूल के मिश्रण से  बनाया गया है.

ह्रदयरोगान्तक चूर्ण के फ़ायदे- 

यह चूर्ण ह्रदयरोग या हार्ट की हर तरह की बीमारी में बेहद असरदार है. हार्टबीट या धड़कन बढ़ना, घबराहट होना, हार्ट में दर्द होना, हार्ट की कमज़ोरी और हार्ट की ब्लॉकेज में इस से फ़ायदा होता है. यह हाई ब्लड प्रेशर को भी कण्ट्रोल करता है.

ह्रदयरोगान्तक चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि – 

एक से दो स्पून तक सुबह-शाम भोजन के बाद लेना चाहिए. या फिर विशेष लाभ के लिए क्षीरपाक विधि से लें. इसके लिए 250 ML दूध में 100 ML पानी और दो स्पून ह्रदयरोगान्तक चूर्ण मिक्स कर उबालें और जब सिर्फ 200 ML दूध बचे तो छानकर रोज़ एक-दो बार पीना चाहिए.

ह्रदयरोगान्तक कैप्सूल और ह्रदयरोगान्तक चूर्ण दोनों ऑनलाइन अवेलेबल हैं हमारे स्टोर पर जिसका लिंक दिया गया है-



ह्रदयरोगान्तक कैप्सूल के 60 कैप्सूल की क़ीमत है सिर्फ 180 रुपया और चूर्ण की क़ीमत है 165 रुपया.

तो दोस्तों हार्ट की बीमारी में आप इन दोनों दवाओं का इस्तेमाल कीजिये और फिर देखिये इसके फ़ायदे.

15 मई 2019

Gandhak Rasayan for Skin Disease & Blood Impurities | गंधक रसायन चर्मरोगों की महौषधि - Lakhaipur.com


गंधक रसायन चर्मरोगों या स्किन डिजीज को दूर करने वाली क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है. इसके इस्तेमाल से खाज-खुजली, एक्जिमा, फोड़े-फुंसी, चकत्ते, छाजन और सफ़ेद दाग से लेकर कुष्ठव्याधि तक नए-पुराने हर तरह के चर्मरोग दूर हो जाते हैं. तो आईये जानते हैं गंधक रसायन का कम्पोजीशन, बनाने का तरीका, फ़ायदे और इस्तेमाल की पूरी डिटेल - 

गंधक रसायन का घटक या कम्पोजीशन - 

जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है इसका मुख्य घटक शुद्ध गंधक होता है. गंधक को अंग्रेज़ी में Sulphur कहा जाता है. इसे बनाने के लिए चाहिए होता है शुद्ध गंधक के अलावा भावना देने के लिए चातुर्जात क्वाथ, त्रिफला क्वाथ, गिलोय का रस और अदरक का रस 

बनाने का तरीका यह होता है कि शुद्ध गंधक को चूर्ण बना लें और फिर इसमें चातुर्जात क्वाथ, त्रिफला क्वाथ, गिलोय का रस और अदरक के रस की कम से कम आठ-आठ भावना देकर सुखाकर पीसकर रख लिया जाता है. 

शास्त्रानुसार इसे टोटल चौसठ भावना देकर बनाने का प्रावधान है. इसमें आधा भाग मिश्री पाउडर भी मिला सकते हैं. कुछ कंपनीयाँ इसे पाउडर फॉर्म मे तो कुछ इसका टेबलेट भी बनाती हैं. 

विधिवत बनाया गया गंधक रसायन हल्का काले रंग का बनता है, यह मेरा एक्सपीरियंस है. मार्केट में मिलने वाला गंधक रसायन ऐसा नहीं होता, जिस से साबित होता है कि विधि-विधान से नहीं बना होता. 

यहाँ पर दो बात और बता दूँ पहली यह की चातुर्जात में चार चीजें होती हैं इलायची, दालचीनी, तेजपात और नागकेशर सभी बराबर मात्रा में. 

और दूसरी बात शुद्ध गंधक या गंधक को शोधित करने का तरीका. गंधक रसायन बनाने के लिए आँवलासार गंधक लेना होता है जो की पीले रंग का होता है. 

गंधक शुद्ध करने की विधि -

गंधक शुद्ध करने का तरीका यह होता है कि एक कड़ाही में थोड़ा गाय का घी डालकर गर्म करें और उसमे आँवलासार गंधक को डालकर हल्की आँच में गर्म करने से गंधक पिघल जाता है. अब एक चौड़े मुँह के बर्तन में गाय का दूध डालें और ऊपर से कपड़ा बाँध दें. 

अब पिघले हुवे गर्म गंधक को कपड़े में डालने से गंधक छनकर दूध में गिरेगा. ध्यान रहे दूध नार्मल या ठंडा होना चाहिए. अब दूध में पड़े गंधक को पानी से अच्छी तरह से धो लेना है. इसी तरह से गर्म गंधक को कम से कम सात बार दूध में बुझाने से गंधक शुद्ध हो जाता है. 

ध्यान रहे हर बार नया दूध लेना है, और गंधक बुझा हुवा दूध को फेक दें क्यूंकि यह विषैला हो जाता है. तो यह है गंधक शुद्ध करने का तरीका. आयुर्वेदिक दवाओं को बनाने में थोड़ा झमेला तो है, पर यदि सही से विधिपूर्वक बनाया जाये तो 100% इफेक्टिव बनती हैं.

गंधक रसायन के औषधिय गुण - 

आयुर्वेदानुसार यह तासीर में गर्म, पित्तशामक, कुष्ठाघ्न यानी हर तरह के चर्म रोगों को दूर करने वाला, विषघ्न या विष को दूर करने वाला, जीवाणु-विषाणु नाशक रसायन है. यह Antibacterial, Antiviral, Antibiotic, Antimicrobial, Anti-inflammatory, Anti Leprosy और Blood Purifier जैसे गुणों से भरपूर होता है. 

गंधक रसायन के फ़ायदे -


  • दाद, खाज-खुजली, एक्जिमा, सोरायसिस, कुष्ठ, सफ़ेद दाग़, फोड़े-फुंसी, फंगल इन्फेक्शन, बालों का गिरना, बालों में रुसी या Dandruff होना जैसी प्रॉब्लम में बेहद असरदार है. 



  • स्किन में चकत्ते होना, पित्ती उछलना(Urticaria) और कील-मुहाँसों में भी असरदार है. 



  • रक्तशोधक गुण होने से खून साफ़ करता है और वातरक्त या गठिया रोग में भी फ़ायदेमंद है. 



  • कुल मिलाकर बस समझ लीजिये कि चर्मरोगों और खून साफ़ करने की यह आयुर्वेद की बेस्ट दवाओं में से एक है. 


गंधक रसायन की मात्रा और सेवन विधि - 

बीमारी और रोगी की कंडीशन के अनुसार ही इसका सही डोज़ फिक्स होता है. वैसे 250mg या एक टेबलेट रोज़ दो से तीन बार तक लिया जा सकता है. इसे रोगानुसार उचित अनुपान के साथ लेना चाहिए. हर तरह के चर्मरोगों में इसके साथ रस माणिक्य का भी प्रयोग किया जाता है. 

पुराने चर्मरोगों में इसके साथ कैशोर गुग्गुल, निम्बादी चूर्ण, खदिरारिष्ट, मजिष्ठारिष्ट जैसी दवा लेनी चाहिए. इसे आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह से सही डोज़ में लेना ठीक रहता है. 

बेस्ट क्वालिटी का गंधक रसायन उचित मूल्य में ऑनलाइन ख़रीदें हमारे स्टोर lakhaipur.in से - गंधक रसायन 100 ग्राम 

डाबर/बैद्यनाथ जैसी कम्पनियों का यह मिल जाता है. डाबर के 40 टेबलेट की क़ीमत 128 रुपया है जिसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - 



इसे भी जानिए - 






14 मई 2019

Gokshuradi Churna | गोक्षुरादि चूर्ण के चमत्कारी फ़ायदे


गोक्षुरादि चूर्ण ऐसी आयुर्वेदिक औषधि है जिसका कम्पोजीशन साधारण होते हुवे भी असरदार है. यह मर्दाना कमज़ोरी दूर कर बल-वीर्य और कामोत्तेजना को बढ़ाती है. तो आईये जानते हैं गोक्षुरादि चूर्ण का कम्पोजीशन, इसके फ़ायदे और इस्तेमाल के बारे में विस्तार से -

गोक्षुरादि चूर्ण के घटक या कम्पोजीशन -

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसमें गोखरू के अलावा पांच चीजें होती हैं. गोखरू, तालमखाना, शतावर, कौंच बीज, नागबला और अतिबला. 

बनाने का तरीका बहुत आसान है, सभी को बराबर वज़न में लेकर कूटपीसकर चूर्ण बना लिया जाता है. यह योगतरंगिणी नामक ग्रन्थ का नुस्खा है. गोक्षुरादि चूर्ण का दूसरा नुस्खा भी है जो महिलारोगों में प्रयोग किया जाता है, इस से बिल्कुल अलग होता है जो की भैषज्य रत्नावली का योग होता है. उसकी जानकारी फिर कभी दी जाएगी.

गोक्षुरादि चूर्ण के गुण -

यह मूत्रल यानि पेशाब साफ़ लाने वाला, बल-वीर्य बढ़ाने वाला, कामोत्तेजक, वीर्य गाढ़ा करने वाला, मेल हार्मोन Testosterone बढ़ाने वाला और बाजीकरण जैसे गुणों से भरपूर होता है.

गोक्षुरादि चूर्ण के फ़ायदे- 

यौनेक्षा की कमी, वीर्य का पतलापन और शीघ्रपतन जैसे पुरुष यौन रोगों में इसका प्रयोग करने से अच्छा लाभ मिलता है. 

अधीक मैथुन के कारन वीर्य का नाश का कर चुके व्यक्तियों को धैर्यपूर्वक इसका सेवन करना चाहिए. 

यह स्ट्रेस को कम कर कामोत्तेजना और आनन्द बढ़ाता है. 

गोक्षुरादि चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि -

2.5 से 5 ग्राम तक सोने से एक घंटा पहले मिश्री मिले दूध से लेना चाहिए. वीर्य का नाश कर चुके युवकों को इसे सुबह-शाम कुछ दिनों तक ब्रह्मचर्य का पालन करते हुवे लेना चाहिए. यह बिल्कुल सेफ़ दवा है, सही डोज़ में लेने से किसी तरह का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता है. 

बेस्ट क्वालिटी का गोक्षुरादि गुग्गुल ऑनलाइन ख़रीदें हमारे स्टोर lakhaipur.in से - गोक्षुरादि गुग्गुल 100 ग्राम 

इसके 100 ग्राम की क़ीमत क़रीब 310 रुपया है जिसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं निचे दिए लिंक से - 




इसे भी जानिए -







13 मई 2019

Krimikuthar Ras Benefits in Hindi | कृमिकुठार रस पेट के कीड़ों की आयुर्वेदिक औषधि



कृमिकुठार रस क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो हर तरह के पेट के कीड़ों को दूर करने में बेजोड़ है. बल्कि यह कहें कि सिर्फ़ पेट के कीड़े ही नहीं बल्कि शरीर के हर तरह के कीड़े या वर्म्स को दूर कर देता है. तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं –

कृमिकुठार रस जैसा कि इसका नाम है कृमि यानि वर्म्स पर कुठार या कुल्हाड़ी की तरह वार कर नष्ट कर देने वाली रसायन औषधि.

रसायन औषधि होने से यह तेज़ी से असर करती है, इसमें शुद्ध पारा और शुद्ध गन्धक का  योग होता है.

कृमिकुठार रस के घटक या कम्पोजीशन –

इसे शुद्ध पारा, शुद्ध गंधक, वायविडंग, शुद्ध हींग, इन्द्रजौ, बच, कमीला, करंजबीज मज्जा, पलाश के बीज, अनार मूल छाल, सुपारी, डिकामली, लहसुन, सोंचर नमक, अजवायन सत्व जैसी औषधियों के मिश्रण से ग्वारपाठा की तीन भावना देकर गोलियाँ या टेबलेट बनायी जाती है.

कृमिकुठार रस के फ़ायदे-

आयुर्वेदानुसार यह बीसों प्रकार के कृमि को नष्ट कर देती है. यानी यह हर तरह के कीड़ों को दूर करने की क्षमता रखती है.

छोटे बच्चों को अक्सर पेट में कीड़े हो जाते हैं. अगर बच्चों में कीड़े के लक्षण हों जैसे – आलस, मुँह से लार गिरना, पेट दर्द, कब्ज़, मलद्वार में  खुजली होना, नीन्द नहीं आना, नीन्द में अचानक चौंक जाना, नीन्द में दांत पिसना या दांत किटकीट करना तो कृमिकुठार रस का सेवन कराना चाहिए.

बच्चे-बड़े सभी के लिए पेट के कीड़े होने पर इसका प्रयोग करना चाहिए.

कई बार बच्चों में पेट के कीड़े होने पर दौरे भी पड़ते हैं जिसे लोग आसानी से मिर्गी की बीमारी समझ लेते हैं, पर या मिर्गी न होकर इसका मूल कारन पेट के कीड़े होते हैं. तो ऐसी अवस्था में अगर जाँच में पेट के कीड़े निकले तो कृमिकुठार रस का सेवन कराना चाहिए.

अंग्रेज़ी डॉक्टर पेट के कीड़ों के लिए Mebendazole, Albendazole जैसी दवाईयाँ देते हैं, पर उनसे स्थायी लाभ नहीं होता है. जहाँ अंग्रेजी दवा फेल हो गयी हो वहां भी कृमिकुठार रस के उचित सेवन से लाभ हो जाता है.

और एक पते की बात बता दूँ कि पुराने फ़ाइलेरिया में मैं नित्यानन्द रस, फ़ाइलेरियल कैप्सूल जैसी दवाओं के साथ कृमिकुठार रस का भी प्रयोग कराता हूँ, इससे कृमिजन्य फ़ाइलेरिया नष्ट होता है.

कृमिकुठार रस की मात्रा और सेवन विधि –

दो से चार गोली तक सुबह-शाम विडंगारिष्ट के साथ देना चाहिए यह व्यस्क व्यक्ति की मात्रा है. बच्चों को एक-एक गोली सुबह-शाम शहद के साथ देना चाहिए.

अगर कब्ज़ भी हो तो पंचसकार चूर्ण या एरण्ड तेल का भी प्रयोग करते रहना चाहिए ताकि पेट के कीड़े मरकर आसानी से बाहर निकल सकें.

अगर कब्ज़ नहीं हो और पेट साफ़ होता हो तो 7 से 11 दिनों में ही पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं. अन्यथा 21 से 41 दिनों तक विशेष अवस्था में इसका सेवन कराना चाहिए.

उच्च गुणवत्ता वाली औषधि कृमिकुठार रस बिल्कुल सही क़ीमत में ऑनलाइन अवेलेबल है हमारे स्टोर लखैपुर डॉट इन पर जिसका लिंक दिया गया है-


09 मई 2019

Amlpittantak Churna | अम्लपित्तान्तक चूर्ण- एसिडिटी/हाइपर एसिडिटी की औषधि



एसिडिटी और हाइपर एसिडिटी आज की बहुत ही कॉमन प्रॉब्लम है, हर तीसरा आदमी इस से किसी न किसी तरह से परेशान है. इसके लिए अम्लपित्तान्तक चूर्ण बेहद असरदार है, इसी के बारे में आज के इस विडियो में विस्तार से चर्चा करते हैं –

अम्लपित्तान्तक चूर्ण जैसा कि इसका नाम है वैसा ही इसका काम है. अम्लपित्त यानि एसिडिटी का अन्त करने वाला


अम्लपित्तान्तक चूर्ण के घटक या कम्पोजीशन – 

इसका फ़ॉर्मूला ऐसा है जो किसी भी दूसरी शास्त्रीय औषधि में नहीं मिलता है. यह बड़ा ही असरदार है. इसे कर्पूर कचरी, श्वेत चन्दन, सौंफ़, मुलहठी, आँवला, धनिया, कमलगट्टा, सर्जिकाक्षार और छोटी इलायची जैसी चीज़ों से बनाया जाता है.

अम्लपित्तान्तक चूर्ण के गुण –

यह बेहतरीन Antacid, Anti inflammatory, Anti Emetic यानि उल्टी नाशक और  Digestive गुणों से भरपूर होता है.

अम्लपित्तान्तक चूर्ण के फ़ायदे-

एसिडिटी और हाइपर एसिडिटी चाहे नयी हो या पुरानी सभी में इसका सेवन करना चाहिए.

सीने की जलन, खट्टी डकार आना, उबकाई, उल्टी, भूख नहीं लगना, पेट की सुजन, पेप्टिक अल्सर जैसे रोगों में इसके सेवन से स्थायी लाभ होता है.

जहाँ आधुनिक Antacid फेल हो वहाँ भी इसके सेवन से लाभ हो जाता है.

अम्लपित्तान्तक चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि –

दो से तीन ग्राम तक ताज़े पानी से रोज़ दो-तीन बार तक लेना चाहिए. यह बिल्कुल सुरक्षित औषधि है, लगातार सेवन से स्थायी लाभ होता है. इसके एक सौ ग्राम के पैक की क़ीमत है सिर्फ़ 80 रुपया जिसे आप ऑनलाइन ख़रीद सकते हैं दिए लिंक से-


06 मई 2019

Vatantak Vati | वातान्तक वटी- जोड़ों का दर्द, गठिया, वातरोगों की असरदार औषधि



दर्द वाले रोग अक्सर कष्टदायक होते हैं, इसे वही बेहतर समझ सकता है जिसे किसी तरह का दर्द  हो. जोड़ों का दर्द, कमर दर्द, साइटिका, गठिया वात इत्यादि हर तरह के वातरोगों की असरदार औषधि है ‘वातान्तक वटी’ जिसके बारे में आज बताने वाला हूँ, तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं-

वातान्तक वटी- जैसे कि इसके नाम से ही पता चलता है वात रोगों का अन्त करने वाली टेबलेट. इसका कम्पोजीशन बड़ा ही यूनिक है, सबसे पहले जानते हैं-

वातान्तक वटी का कम्पोजीशन-

इसे हरड़, सोंठ, सुरंजान, ग्वारपाठा, सनाय, एरण्ड, इन्द्रायण और शुद्ध गुग्गुल के मिश्रण से बनाया गया है. गुग्गुल के साथ सुरंजान, एरण्ड और इन्द्रायण जैसी जड़ी-बूटियों का योग इसे एक बेहद प्रभावशाली औषधि बनाता है ख़ासकर वातरोगों के लिए.

वातान्तक वटी के गुण –

यह वात नाशक तो है ही, साथ ही Analgesic, Anti  inflammatory, Digestive, Mild Laxative और लिवर प्रोटेक्टिव गुणों से भरपूर है.

वातान्तक वटी के फ़ायदे-

यह जोड़ों के दर्द, सुजन, गठिया आमवात से लेकर साइटिका, लकवा और पक्षाघात जैसे हर तरह के वात रोगों को दूर करने में सक्षम है.

दर्द वाले वातरोगों में इसका सेवन करने से अच्छा लाभ होता है, धैर्यपूर्वक सेवन करने से कठिन से कठिन वात रोग दूर होते हैं.

वातान्तक वटी की मात्रा और सेवन विधि –

एक से दो गोली तक रोज़ दो-तीन बार तक पानी या दूध से. इसके साथ में हमारा ‘वातरोगनाशक योग’ या वातरोगहर कैप्सूल लेने से जल्दी लाभ मिलता है. बस धैर्य से लगातार इसका सेवन करते रहने से वातरोगों से मुक्ति मिलती है.

इसके एक पैक की क़ीमत सिर्फ 160 रुपया है जो ऑनलाइन अवेलेबल है हमारे स्टोर lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है.




04 मई 2019

How to Loose Weight? | वज़न कम करने/मोटापा दूर करने की बेजोड़ औषधि



आप महिला हों या पुरुष और चाहे किसी भी उम्र के हों अगर अपना वज़न कम करना चाहते हैं, पेट कम करना चाहते हैं या मोटापा दूर करना चाहते हैं तो आज की जानकारी आपके लिए है.

जी हाँ दोस्तों, आज मैं बताने वाला हूँ मोटापा दूर करने वाली दो औषधि के बारे में जिसका कॉम्बिनेशन वज़न कम करने और बॉडी की एक्स्ट्रा फैट को दूर करने में रामबाण है. तो आईये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं –

दो दवाओं के बारे में बताने वाला हूँ जिसका नाम है फैटकिल चूर्ण और फैटोनील टेबलेट. बिना किसी नुकसान या साइड इफ़ेक्ट के यह दोनों दवाएँ वज़न कम करने में बेजोड़ हैं. सबसे पहले जानते हैं फैटकील चूर्ण के बारे में -


Fatkil Churna | फैटकिल चूर्ण

फैटकिल चूर्ण के घटक या कम्पोजीशन- 

फैटकिल चूर्ण के कम्पोजीशन की बात करें तो यह अपने आप में बेजोड़ है. इसके मुख्य घटक हैं विजयसार, चित्रकमूल, सोंठ, मिर्च, छोटी पीपल, वायविडंग और सनाय.

विजयसार शरीर की अतिरिक्त वसा या एक्स्ट्रा चर्बी को दूर करने में चमत्कारी प्रभाव दिखाता है और दूसरी जड़ी-बूटियों का मिश्रण पाचन और शरीर के Metabolism को ठीक करने में बेहद असरदार हैं.

फैटकिल चूर्ण की मात्रा और सेवन विधि – एक स्पून सुबह-शाम भोजन के बाद गुनगुने पानी से लेना चाहिए.


Fatonil Tablet | फैटोनील टेबलेट

फैटोनील टेबलेट के घटक या कम्पोजीशन- 

इसे मेदोहर गुग्गुल और त्रिफला चूर्ण के मिश्रण से बनाया गया है. मेदोहर गुग्गुल मोटापा दूर करने की क्लासिकल आयुर्वेदिक मेडिसिन है जो कभी फ़ेल नहीं होती. त्रिफला का मिश्रण इसमें सोने पे सुहागा जैसा काम करता है. 

मोटापा दूर करने के लिए जब तक आप गुग्गुल वाला योग नहीं लेंगे तब तक सही और स्थाई लाभ नहीं होता है, इस बात को आप नोट कर लें.

आपका वज़न ज़्यादा हो, पेट निकला हो या मोटापा दूर कर स्लिम-ट्रिम बनना चाहते हों तो इन दोनों दवाओं का इस्तेमाल कीजिये और फिर देखिये.

फैटोनील टेबलेट की मात्रा और सेवन विधि - एक से दो गोली तक सुबह-शाम गुनगुने पानी से.

दोनों दवाएँ ऑनलाइन अवेलेबल हैं हमारे स्टोर lakhaipur.in पर जिसका लिंक दिया गया है.