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29 दिसंबर 2022

Marichyadi Vati | मरिच्यादि वटी/गुटिका

 

marichyadi vati

मरिच्यादि वटी आयुर्वेद का एक प्रसिद्ध योग है जो आयुर्वेदिक ग्रन्थ शारंगधर संहिता में वर्णित है. इसे खाँसी, सर्दी, जुकाम, टोंसिल इत्यादि में प्रयोग किया जाता है, तो आईये जानते हैं मरिच्यादि वटी के गुण, उपयोग और निर्माण विधि के बारे में सबकुछ विस्तार से - 

मरिच्यादि वटी का एक घटक मिर्च है, यानी काली मिर्च. इसी से इसका नाम मरिच्यादि वटी रखा गया है. 

मरिच्यादि वटी के घटक या कम्पोजीशन 

marichyadi gutika


काली मिर्च और पीपल प्रत्येक 10 ग्राम, जावा खार 6 ग्राम, अनार का छिलका 20 ग्राम और गुड़ 80 ग्राम 

मरिच्यादि वटी निर्माण विधि 

इसे बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले गुड़ के अलावा सभी चीज़ों का बारीक चूर्ण बना लें. इसके बाद गुड़ की चाशनी बनाकर सभी चीजों को मिलाकर अच्छी तरह से कुटाई करने के बाद 3-3 रत्ती या 375 mg की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. बस मरिच्यादि वटी तैयार है. 

मरिच्यादि वटी के गुण या प्रॉपर्टीज 

यह वात और कफ़ दोष को संतुलित करती है.

मरिच्यादि वटी की मात्रा और सेवन विधि 

एक-एक गोली दिन में पांच-छह बार तक मुँह में रखकर चुसना चाहिए. या फिर गर्म पानी से.

मरिच्यादि वटी के फ़ायदे 

यह सुखी-गीली हर तरह की खाँसी में उपयोगी है. 

इसके सेवन से सर्दी, खाँसी, जुकाम, गले की खराबी, गला बैठना और टॉन्सिल्स बढ़ जाने पर होने वाली परेशानी भी दूर होती है. टॉन्सिल्स बढ़ा हो तो इसे गर्म पानी के साथ लेना चाहिए.

यदि टॉन्सिल्स की समस्या अक्सर होती रहती हो तो इस से छुटकारा पाने के लिए मेरा अनुभूत योग 'टॉन्सिल्स क्योर योग' का सेवन कर सकते हैं. 

मरिच्यादि वटी 

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तो दोस्तों, यह थी आज की जानकारी मरिच्यादि वटी के बारे में, कोई सवाल हो तो कमेंट कर बताईये. यहाँ तक विडियो देखा है तो कमेंट कर ज़रूर बताईये.

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25 दिसंबर 2022

Eladi Vati | एलादि वटी- गुण उपयोग और निर्माण विधि

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एला का मतलब आयुर्वेद में होता है इलायची, एलादि वटी का एक घटक एला या इलायची है इसलिए इसलिए इसका नाम एलादि वटी है. छोटी इलायची और बड़ी इलायची को आयुर्वेद में लघु एला और दीर्घ एला कहा जाता है. 

एलादि वटी के घटक या कम्पोजीशन 

इसके निर्माण के लिए चाहिए होता है छोटी इलायची, तेजपात और दालचीनी प्रत्येक 6-6 ग्राम, पीपल 20 ग्राम, मिश्री, मुलेठी, पिण्ड खजूर बीज निकली हुयी और मुनक्का बीज निकला हुआ प्रत्येक 40 ग्राम

एलादि वटी निर्माण विधि 

सुखी हुयी चीजों को कूट-पीसकर चूर्ण बना लें और मुनक्का और खजूर को सिल पर पीसकर सभी को अच्छी तरह मिक्स करते हुए थोड़ी मात्रा में शहद भी मिला लें. इसके बाद छोटे बेर के साइज़ की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लें. बस एलादि वटी तैयार है. 

एलादि वटी की मात्रा और सेवन विधि 

एक-एक गोली दिन भर में चार-पांच बार मुँह में रखकर चुसना चाहिए. इसे दूध से भी लिया जाता है. या फिर स्थानीय वैद्य जी की सलाह के अनुसार ही इसका प्रयोग करें. 

एलादि वटी के गुण 

यह पित्त शामक है और कफ़ दोष को भी मिटाती है. 

एलादि वटी के फ़ायदे 

इसके सेवन से सुखी खांसी, टी. बी. वाली खाँसी, मुँह से खून आना, रक्तपित्त, उल्टी, बुखार, प्यास, जी घबराना, बेहोश, गला बैठना इत्यादि में लाभ होता है. 

पित्त और कफ़ दोष के लक्षणों में वैद्यगण इसका सेवन कराते हैं. 

सुखी खाँसी जिसमे कफ़ चिपक जाने से बार-बार खाँसी उठती हो, सांस लेने भी दिक्कत हो तो इस गोली को चूसने से कफ़ ढीला होकर निकल जाता है. 

खाँसी में पित्त बढ़ा होने से खाँसने पर खून तक आने लगता है, ऐसी स्थिति में इसका सेवन करना चाहिए.

खून की उल्टी, हिचकी, चक्कर, पेट दर्द,  बहुत प्यास लगना जैसी समस्या होने पर इसे चुसना चाहिए. 

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19 दिसंबर 2022

Kameshwar Modak | कामेश्वर मोदक - आयुर्वेदिक लड्डू

 

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यह एक ऐसा लड्डू है जिसे खाने से पुरुषों का पॉवर-स्टैमिना बढ़ता है, मरदाना कमज़ोरी दूर होकर शीघ्रपतन और वीर्य विकार जैसे रोग दूर हो जाते हैं. तो आईये जानते हैं कामेश्वर मोदक का फ़ॉर्मूला, बनाने का तरीका और फ़ायदे के बारे में सबकुछ विस्तार से - 

कामेश्वर मोदक 

आयुर्वेद में मोदक का मतलब होता है लड्डू, काम का मतलब सेक्स और ईश्वर का अर्थ आप जानते ही हैं. यौन क्षमता या सेक्स पॉवर बढ़ाने में यह बेजोड़ है. 

कामेश्वर मोदक के घटक या कम्पोजीशन 

इसके कम्पोजीशन की बात करें तो इसे बनाने के लिए चाहिए होगा अभ्रक भस्म, कायफल, कूठ, असगंध, गिलोय, मेथी, मोचरस, विदारीकन्द, सफ़ेद मूसली, गोखरू, तालमखाना, केला-कन्द, शतावर, अजमोद, उड़द, तिल, मुलेठी, नागबला, धनियाँ, कपूर, मैनफल, जायफल, सेंधा नमक, भारंगी, काकड़ासिंघी, भांगरा, सोंठ, काली मिर्च, पीपल, जीरा, काला जीरा, चित्रकमूल छाल, दालचीनी, तेजपात, बड़ी इलायची, नागकेशर, सफ़ेद पुनर्नवामूल, गजपीपल, मुनक्का बीज निकला हुआ, सन के बीज, बांसामूल की छाल, सेमल मूसला, हर्रे, आँवला, शुद्ध कौंच बीज प्रत्येक 10-10 ग्राम,  शुद्ध भांग बीज 110 ग्राम, गाय का घी 100 ग्राम, शहद 100 ग्राम और चाशनी बनाने के लिए चीनी एक किलो 

कामेश्वर मोदक निर्माण विधि 

इसे बनाने का तरीका यह है कि सबसे पहले सभी जड़ी-बूटियों का बारीक कपड़छन चूर्ण बना लें. अभ्रक भस्म को चूर्ण बनाने के बाद में मिक्स करें. चीनी की लच्छेदार चाशनी बनाकर चूर्ण और घी डालकर अच्छे तरह से मिलाने के बाद चूल्हे से उतार कर थोड़ा ठण्डा होने पर शहद मिलाकर अच्छी तरह से घोंटकर छोटे-छोटे लड्डू बना लें. ठीक मोती-चूर के लड्डू के साइज़ के लड्डू बनाना है. बस कामेश्वर मोदक तैयार है. 

कामेश्वर मोदक की मात्रा और सेवन विधि 

रोज़ एक लड्डू सुबह नाश्ते के बाद दूध से लेना चाहिए.

कामेश्वर मोदक के गुण या प्रॉपर्टीज 

यह बाजीकरण, कामाग्निसंदीपन, वीर्य स्तम्भक, वात नाशक और बुद्धिवर्द्धक गुणों से भरपूर होता है. 

कामेश्वर मोदक के फ़ायदे 

मरदाना कमज़ोरी, सेक्स की इच्छा नहीं होना, शीघ्रपतन, वीर्य का पतलापन जैसी पुरुषों की हर तरह की समस्या में इसके सेवन से लाभ होता है. 

यह पॉवर-स्टैमिना बढ़ाता है, कमज़ोरी दूर कर शरीर को शक्ति देता है.

फेफड़ों की कमजोरी, खांसी, अस्थमा, टी.बी., अतिसार, अर्श, प्रमेह इत्यादि में भी लाभकारी है.

कुल मिलाकर बस यह समझ लीजिये कि ठण्ड के मौसम में इसे बनाकर यूज़ कर सकते हैं. अगर नहीं बना सकें तो इसी के जैसा फायदा देनी वाली दवा 'बाजीकरण चूर्ण' यूज़ कीजिये.


14 दिसंबर 2022

Punswan Yog | पुंसवन योग- पुत्र प्राप्ति की अनुभूत औषधि

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आज मैं बताने वाला हूँ आयुर्वेदिक औषधि पुंसवन योग के बारे जिसमे सेवन से पुत्र प्राप्ति होती है यानी बेटा होता है. तो आईये पुंसवन योग के मात्रा, सेवन विधि और फायदों के बारे में सबकुछ विस्तार से जानते हैं - 

पुंसवन योग क्या है?

यह एक अनुभूत आयुर्वेदिक योग है जो आयुर्वेद के पुंसवन कर्म पर आधारित है. दिव्य जड़ी-बूटियों का मिश्रण और साथ शुद्ध स्वर्ण की मात्रा भी इस औषधि अपने आप में बेजोड़ बनाती है. 

punswan yog

बेटा की चाह रखने वाले दम्पतियों के लिए यह वरदान के समान है. सैंकड़ों महिलाओं की मनोकामना इसके सेवन पूरी हुयी है. बस समय पूरी श्रध्दा और विश्वास के साथ विधि पूर्वक इसका सेवन करना चाहिए. प्रेगनेंसी कन्फर्म होते ही यथाशीघ्र इसका सेवन करना चाहिए.

पुंसवन योग की मात्रा और सेवन विधि -

पुंसवन योग चूँकि स्वर्णयुक्त औषधि है तो इसमें 40 + 7 कैप्सूल होते हैं, जो टोटल 47 दिन का डोज़ है.

इसे प्रतिदिन सुबह सिर्फ़ एक कैप्सूल ख़ाली पेट दूध के साथ लेना होता है. सबसे पहले 7 कैप्सूल वाले पैक में से एक हफ्ता इसके बाद 40 कैप्सूल वाला पैक. 

पुंसवन योग के साथ में पुंसवन कैप्सूल भी सेवन करने से अधीक सफलता मिलती है. जैसा कि आप सभी जानते हैं पुंसवन कैप्सूल के बारे में काफ़ी पहले बताया हूँ. पुंसवन कैप्सूल को बछड़े वाली देसी गाय के दूध में लेने का विधान है. पर यह सभी जगह सभी के लिए सुलभ नहीं होने से पुंसवन योग और पुंसवन कैप्सूल दोनों का सेवन करने की सलाह देता हूँ. इसके लिए किसी भी गाय का दूध चलेगा. 

पुंसवन कैप्सूल का लिंक 

आपको किसी तरह का कनफ्यूज़न न हो इसके लिए पुंसवन योग और पुंसवन कैप्सूल दोनों के कॉम्बो पैक या कम्पलीट कोर्स का लिंक  दिया जा रहा है, जहाँ से आप आसानी से आर्डर कर सकते हैं. 

पुंसवन योग कॉम्बो पैक ऑनलाइन ख़रीदें 

पुंसवन योग के बारे में कोई सवाल हो तो कमेंट कर पूछिये, आपके सवालों का स्वागत है. 

इस जानकारी को ज़्यादा से ज्यादा शेयर कर दीजिये ताकि पुत्र प्राप्ति की चाह रखने लोगों को इसका लाभ मिल सके. आपका एक शेयर किसी की ज़िन्दगी में ख़ुशियाँ ला सकता है. 

जय हिन्द, जय आयुर्वेद 

विडियो देखें 




10 दिसंबर 2022

प्लिहान्तक गुटिका | Plihantak Gutika

 

plihantak gutika

आज की जानकारी है आयुर्वेदिक औषधि प्लिहान्तक गुटिका के बारे में जो बढ़े हुए लिवर-स्प्लीन को ठीक करती है. तो आईये जानते हैं प्लिहान्तक गुटिका की निर्माण विधि और इसके फ़ायदे के बारे में विस्तार से 

प्लिहान्तक गुटिका के घटक और निर्माण विधि 

स्फटिक भस्म, टंकण भस्म, शंख भस्म और गिलोय सत्व प्रत्येक एक-एक भाग, शुद्ध गंधक और एलुआ प्रत्येक दो-दो भाग.

बनाने का तरीका यह है कि सभी चीज़ों को मिक्स कर घृतकुमारी के रस में घोंटकर 500 मिलीग्राम की गोलियाँ बनाकर सुखाकर रख लिया जाता है.

प्लिहान्तक गुटिका की मात्रा और सेवन विधि 

दो गोली रोज़ तीन बार गर्म पानी से लेना चाहिए

प्लिहान्तक गुटिका के फायदे 

यह वटी प्लीहा और यकृत की वृद्धि यानी लिवर और स्प्लीन का बढ़ जाना दूर कर लिवर-स्प्लीन को नार्मल और हेल्दी कर देती है.

पेट दर्द, जौंडिस, स्प्लीन बढ़ने से होने वाली बुखार और कब्ज़ इत्यादि दूर होता है.

पाचन क्रिया को ठीक कर पाचन तंत्र को स्वस्थ बना देती है. बच्चे-बड़े सभी इसका प्रयोग कर सकते हैं. इसके सेवन काल में गुड़-चीनी और इस से बने भोजन नहीं करना चाहिए. 

 तो यह थी आज की जानकारी प्लिहान्तक गुटिका के बारे में.