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20 मई 2023

Gallstone symptoms & treatment | पित्त पत्थरी क्यूँ होती है? 5 F क्या है? पित्त पत्थरी का उपचार

pitta patthri ka upchar

आपने सुना और देखा होगा कि फलां को पित्ते की पत्थरी या Gallstone हो गयी थी जिसकी वजह से ऑपरेशन करवाना पड़ा. आपको पता होना चाहिए कि Gallstone के लिए ऑपरेशन की एकमात्र उपाय नहीं है बल्कि उचित उपचार से अधिकतर लोगों की पित्त की पत्थरी बिना ऑपरेशन ही निकल जाती है. तो आईये आज जानते हैं पित्त पत्थरी होने के कारन और उपचार के बारे में सबकुछ विस्तार से - 

जिनका भी पित्त पत्थरी के लिए ऑपरेशन हो चूका है उनको आज या कल अधिकतर लोगों को जीवनभर के लिए पाचन की समस्या हो सकती है, या फिर यह कहिये की समस्या हो ही जाती है. क्यूंकि ऑपरेशन कर पूरा पित्ताशय या गाल ब्लैडर ही निकाल दिया जाता है, जिसके कारण पाचक पित्त का स्राव नहीं होता है. 

पित्त पत्थरी होने के कारन 

आजकल पित्त पत्थरी के रोगी बड़ी संख्या में हैं और निरन्तर बढ़ते ही जा रहे हैं तो सवाल यह उठता है कि आख़िर वह कौन सी वजह है जो इस रोग को तेज़ी से बढ़ा रही है. इसके कारणों को दो तरह से देखा जा सकता है. 

1) सहायक कारन 2) मुख्य कारन 

1) सहायक कारन यह सब होते हैं जैसे - 

आयु- 40 साल से ऊपर के लोगों को गालस्टोन की सम्भावना अधीक होती है.

जेंडर- हालाँकि गालस्टोन किसी को भी हो सकता है पर महिलायें इस बीमारी की चपेट में ज़्यादा आती हैं 

आदत- लेज़ी लाइफ़ स्टाइल और बैठे-बैठे काम करने वालों में इस बीमारी की सम्भावना अधीक होती है. इसके अलावा और भी कुछ स्थितियाँ होती हैं जिसमे यह रोग पनप सकता है जैसे- गर्भावस्था, हार्ट और लंग्स डिजीज, मोटापा, जेनेटिक फैक्टर, स्किन कलर और मौसम का प्रभाव इत्यादि

5 F क्या होता है?

चिकित्सकगण सहायक कारणों को 5F के नाम से याद करते हैं- 1) फैटी, 2) फिमेल, 3) फोर्टी, 4) फर्टायल, 5) फेयर 

फेयर से यहाँ यह समझिये कि जिनका रंग साफ़ होता है उनको पित्त पत्थरी की सम्भावना अधीक होती है.

पित्त पत्थरी के मुख्य कारन 

पित्ताशय की पत्थरी के मुख्य कारणों की बात करें तो संक्रमण(इन्फेक्शन), पित्त का अवरोध और कोलेस्ट्रॉल का ज़्यादा बढ़ना मुख्य कारन मने जाते हैं. 

संक्रमण(इन्फेक्शन) के कारन - 

मिक्स या इन्फेक्टेड गालस्टोन पित्ताशय की सुजन की वजह से बनती है, सुजन के कारन पित्त द्योतक एवम पित्त लवण में कोलेस्ट्रॉल का रासायनिक संगठन ढीला पड़ जाता है जिस से वे आसानी से टूट जाते हैं, जब पित्त लवण कोलेस्ट्रॉल को अलग कर देता है तब यह अवक्षेपित हो जाता है. संक्रमित पित्ताशय पित्त लवण को तेज़ी से अवशोषित कर लेता है लेकिन कोलेस्ट्रॉल बहुत धीरे-धीरे अवशोषित होता है. इसी कारन से कोलेस्ट्रॉल की अवक्षेपित होने की प्रवृति हो जाती है और जब कोलेस्ट्रॉल का केन्द्रक बन जाता है तब बिलीरुबिन इसके चारों तरफ जमकर मिश्रित पत्थरी बनाने लगती है. 

अवरोध के कारन- 

40 साल से अधीक उम्र की महिलायें, मोटी और जिनको कई बार डिलीवरी हुयी हो उनमे अधिकतर अवरोध के कारन ही पित्त पत्थरी बनती है. 

पित्त एवम रक्त कोलेस्ट्रॉल की अधीक मात्रा के कारन -

 इसमें पित्त के पतन के कारण प्रतिक्रिया स्वरुप पित्त गाढ़ा होने लगता है, कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ जाती है और पित्त लवण का संग्रह होने लगता है. जिसके फलस्वरुप पित्ताशय में अलग होने लगता है और पत्थरी बनना शुरू हो जाता है. 

यह सब तो हो गए पित्त पत्थरी या गालस्टोन के कारन, आईये अब जानते हैं गालस्टोन के प्रकार पर चर्चा करते हैं. 

पित्त पत्थरी या गालस्टोन के प्रकार 

पत्थरी को आयुर्वेद में अश्मरी कहा जाता है और पित्त पत्थरी या पित्ताशय की पत्थरी को पित्ताश्मरी के नाम से जाना जाता है. 

पित्त पत्थरी में कोलेस्ट्रॉल,  बिलीरूबीन और कैल्शियम यही तीन मुख्य घटक होते हैं और इसी के आधार पर गालस्टोन के तीन प्रकार हैं.

1) कोलेस्ट्रॉल अश्मरी, 2) रंजक अश्मरी और 3) मिश्रित अश्मरी 

कोलेस्ट्रॉल अश्मरी 

कोलेस्ट्रॉल का चयापचय ठीक तरह से न हो पाने के कारन यह पत्थरी बनती है. यह सफ़ेद रंग की बड़े आकार की अण्डाकार, प्रायः संख्या में एक, हलकी चमकती हुयी होती है. पित्ताशय में अधीक पित्त, कोलेस्ट्रॉल और अवरोध रहने से ही कोलेस्ट्रॉल वाली पत्थरी बनती है. यह शान्त होती है और सामान्यतः इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. परन्तु जब यह पित्ताशय की गर्दन में अटक जाये तब परेशानी पैदा करती है. 

रन्जक अश्मरी 

यह संख्या में एक या अनेक, बहुत छोटी, भुरभुरी सी और बिलरूबीन से युक्त रहती है. इसमें कोलेस्ट्रॉल नहीं होता है. चयापचय में दोष होने से भी इसकी उत्पत्ति होती है. 

मिश्रित अश्मरी 

यह कोलेस्ट्रॉल, बिलरूबीन और कैल्शियम की बनी होती है. इसमें 80 प्रतिशत तक पित्त रहता है. इस तरह की पत्थरी का रंग पिला और भूरा होता है. एक पत्थरी रहने पर इसका तल चमकीला होता है. 

पित्त पत्थरी या गालस्टोन के लक्षण 

पत्थरी के स्थान और परिस्थिति के अनुसार रोग के लक्षणों में भिन्नता मिलती है. जब पत्थरी पित्ताशय में रहती है तो उस समय रोगी को इसका कुछ भी अहसास नहीं होता है कि उसको गालस्टोन है या पित्ताशय में पत्थरी है. 

जब तक तेज़ पेट दर्द नहीं होता कुछ पता नहीं चलता है. कई बार लोगों को किसी दुसरे रोग के जाँच के दौरान अल्ट्रासाउंड कराने पर इसका पता चलता है. 

जब पत्थरी पित्तकोष नलिका या साधारण पित्त नलिका अटक जाती है तब बहुत तेज़ दर्द होता है. यह दर्द लहर के रूप में बढ़ता हुआ दायीं तरफ़ बगल में कंधे तक पहुँचता है. पित्त की पत्थरी का दर्द निचे की तरह कभी नहीं जाता है. आज के समय में सोनोग्राफी जैसी तकनीक से इसका सटीक निदान होता है. 

पित्त पत्थरी या गालस्टोन का उपचार 

अगर किसी को पित्त की पत्थरी का पता चला हो और कोई इमरजेंसी नहीं हो तो इसके लिए सबसे पहले आयुर्वेदिक उपचार लेना चाहिए. दो-तीन महीने में साधारण गालस्टोन निकल जाती है. औषधि से यदि कोई भी लाभ न हो तभी अन्तिम उपाय के रूप में ऑपरेशन करवाना चाहिए. 

आयुर्वेदिक औषधि में मैं अपने रोगियों को मेरी अनुभूत औषधि 'पित्ताश्मरी नाशक योग' सेवन करने की सलाह देता हूँ, जिसका लिंक दिया गया है. 

'पित्ताश्मरी नाशक योग'

इसके साथ 'एक्स्ट्रा वर्जिन ओलिव आयल' भी निम्बू के रस के साथ प्रचुर मात्रा में रोगानुसार लेना चाहिए. 



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